Gmail Vs Zoho Mail (Source. Freepik)
Zoho Mail Benefits: तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में ईमेल आज भी हर व्यक्ति और प्रोफेशनल की रोज़मर्रा की ज़रूरत बना हुआ है। बीते कई सालों तक Gmail सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय ईमेल प्लेटफॉर्म माना जाता रहा है। आसान इंटरफेस और गूगल की दूसरी सेवाओं से मजबूत कनेक्टिविटी ने इसे हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया। लेकिन जैसे-जैसे 2026 नज़दीक आ रहा है, यूजर्स की प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल के दिनों में यह चर्चा तेज़ हुई है कि कई नामचीन लोग Gmail छोड़कर Zoho Mail को अपनाने लगे हैं, जिससे प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा पर नई बहस शुरू हो गई है।
Gmail में स्मार्ट फीचर्स की कोई कमी नहीं है, लेकिन विज्ञापनों और गूगल इकोसिस्टम से गहरे जुड़ाव के कारण कई यूजर्स असहज महसूस करने लगे हैं। इनबॉक्स में प्रमोशनल मेल्स और नोटिफिकेशन की भरमार कई बार जरूरी ईमेल को दबा देती है। साथ ही, डेटा प्राइवेसी को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। आज का यूजर ऐसा प्लेटफॉर्म चाहता है जहां उसका ईमेल डेटा विज्ञापन के लिए स्कैन न किया जाए।
इसके ठीक उलट, Zoho Mail एक पूरी तरह विज्ञापन-मुक्त और साफ-सुथरा ईमेल अनुभव देता है। यही वजह है कि बिजनेस यूजर्स, प्रोफेशनल्स और संस्थान तेजी से इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। Zoho Mail यूजर्स को अपने डेटा पर बेहतर नियंत्रण देता है और प्राइवेसी को प्राथमिकता में रखता है। यही कारण है कि अब इसे Gmail के मजबूत विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
Gmail से Zoho Mail पर जाना जितना बड़ा बदलाव लगता है, असल में प्रक्रिया उतनी ही सरल है। Zoho Mail की वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर यूजर अपनी जरूरत के अनुसार फ्री या पेड प्लान चुन सकता है। इसके बाद Gmail की सेटिंग में IMAP ऑन कर पुराने ईमेल एक्सेस की अनुमति देनी होती है। Zoho का माइग्रेशन टूल ईमेल, फोल्डर और कॉन्टैक्ट्स को बिना झंझट ट्रांसफर कर देता है। नए ईमेल मिस न हों, इसके लिए Gmail में फॉरवर्डिंग सेट करना भी जरूरी है।
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Zoho Mail को उसकी मजबूत सुरक्षा के लिए जाना जाता है। इसमें एडवांस एन्क्रिप्शन, प्रभावी स्पैम फिल्टर और एडमिन कंट्रोल जैसे फीचर्स मिलते हैं। साथ ही, कैलेंडर, नोट्स और टास्क मैनेजर जैसे टूल्स इसे एक ऑल-इन-वन प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म बनाते हैं। यही वजह है कि 2026 से पहले ईमेल की दुनिया में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।