By - Preeti Sharma

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भगवान हनुमान की माता 

 अंजनी देवलोक की अप्सरा से वानरी कैसे बन गईं?

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को लेकर कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। उनकी जन्म कथा और लीलाएं कई बार आपने सुनी होगी।

भगवान हनुमान

कहा जाता है कि हनुमान जी की माता अंजनी भी बचपन में काफी नटखट और चंचल थी जिसकी वजह से उन्हें श्राप मिला।

हनुमान जी की माता अंजनी

पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनी पूर्व जन्म में इंद्र देव की सभा में अप्सरा हुआ करती थीं।

देवलोक की अप्सरा

पूर्व जन्म में उनका नाम पुंजिकस्थला था और वह काफी रूपवती स्त्री थीं। लेकिन उनके नटखटपन ने उन्हें वानरी बना दिया।

पुंजिकस्थला

एक बार पुंजिकस्थला ने भूल से तपस्या कर रहे ऋषि के ऊपर फल फेंक दिया था। जिससे वह क्रोधित हो गए।

तपस्या भंग

ऋषि ने गुस्से में आकर पुंजिकस्थला को श्राप दिया कि वह जब किसी से प्रेम करेंगी तो वानरी बन जाएंगी।

मिला श्राप

जब पुंजिकस्थला ने ऋषि से क्षमा मांगी तो उन्होंने कहा कि वानरी के रूप में तुम बहुत ही तेजस्वी और आकर्षक होगी। साथ ही तुम्हें तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होगी।

ऋषि श्राप नहीं लिया वापस

ऋषि के श्राप के कारण ही अंजनी को वानरराज केसरी से प्रेम हुआ और आशीर्वाद स्वरूप शिवजी के अंश के रूप में हनुमान जी जैसे पुत्र की प्राप्ति हुई।

हनुमान जी हुए पुत्र

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