लगातार 12 घंटे गूंजता रहा शास्त्रीय नृत्य का ‘घुंघरू नाद’ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: धरमपेठ एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित नटराज आर्ट एंड कल्चर सेंटर की ओर से रविवार को नटराज आर्ट एंड कल्चर सेंटर, रजत महोत्सव बिल्डिंग, खरे टाउन, धरमपेठ में आयोजित 12 घंटे के शास्त्रीय नृत्य समारोह ‘अखंड घुंघरू नाद 2025’ ने श्रोताओं को अद्भुत आनंद की अनुभूति कराई। सुबह 7 बजे शुरू हुआ यह कार्यक्रम शाम 7 बजे तक बिना रुके चलता रहा। भरतनाट्यम, कथक, कथकली, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम और सत्रिया जैसी आठों शास्त्रीय नृत्य शैलियों के नर्तकों के पांवों में बंधे घुंघरू लगातार 12 घंटे झंकारते रहे।
यह ‘अखंड घुंघरू नाद’ उपक्रम का चौथा वर्ष था। कार्यक्रम का शुभारंभ धरमपेठ एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष एडवोकेट उल्हास औरंगाबादकर, सचिव सुरेश देव, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा पुरोहित तथा नटराज आर्ट एंड कल्चर सेंटर के प्राचार्य डॉ. रवींद्र हरिदास की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन और नटराज पूजन के साथ हुआ।
अवंती काटे और पूजा हिरवडे ने इस आयोजन के थीम सांग पर नृत्य प्रस्तुति देकर इस नृत्य यज्ञ की शुरुआत की। इसके बाद देशभर की 43 संस्थाओं के कुल 220 कलाकारों ने क्रमशः 10-10 मिनट की 78 नृत्य प्रस्तुतियाँ दीं। कार्यक्रम के मध्यांतर में भी ‘फिलर’ के रूप में घुंघरू नाद की झंकार लगातार गूंजती रही।
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12 घंटे के इस अनोखे आयोजन को चार चरणों में विभाजित किया गया था। प्रत्येक चरण में विभिन्न नृत्य शैलियों के गुरु और कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। समापन अवसर पर आठों शास्त्रीय नृत्य शैलियों के कलाकारों ने संयुक्त रूप से थीम सांग पर प्रस्तुति देकर ‘अखंड घुंघरू नाद’ को अविस्मरणीय बना दिया।
इस आयोजन में नागपुर के साथ वर्धा, अमरावती, चंद्रपुर, केरल, मणिपुर और झांसी के कलाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम की सफलता में डॉ. रवींद्र हरिदास, डॉ. सदानंद चौधरी, संयोजक अवंती काटे, पूजा हिरवडे, मौक्तिक काटे, अक्षय तिजारे, पल्लवी पारसकर, नेहा मालवे, तुषार राऊत, विलास महाजन और हर्षल बारापात्रे का विशेष योगदान रहा।
मणिपुर से आए तीन मणिपुरी गुरु एवं नर्तक चानुलिमा, सरिता देवी और रोनिता; कलामंडलम (केरल) के अखिल वर्मा; अमरावती के ओडिसी गुरु मोहन बोडे; नागपुर की कथक गुरु ललिता हरदास; भरतनाट्यम कलाकार श्रीमती माडखोलकर और सत्रिया नृत्यांगना तनवीर कौर ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को गौरवपूर्ण बनाया।
समापन अवसर पर सभी गुरुओं का सम्मान किया गया।