ताइवान को लेकर अमेरिका का बड़ा प्लान, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
China Taiwan Tension: चीन के बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक जारी है, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वैश्विक नेता शामिल हैं। इसी बीच चीन से एक रिपोर्ट आई है जिसने बीजिंग में कूटनीतिक तनाव बढ़ा दिया है।
इसी बीच साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और ताइवान के बीच हथियारों के निर्माण और आपूर्ति को लेकर एक समझौता हुआ है। अगर यह समझौता बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ा, तो भविष्य में चीन के लिए युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, ताइवान ने अमेरिका के साथ ड्रोन निर्माण को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस समझौते में ताइवान का सरकारी संस्थान ‘नेशनल चुंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ और अमेरिकी रक्षा कंपनी ‘क्रेटोस’ शामिल हैं। दोनों पक्ष मिलकर MQM-178 फायरजेट नामक ड्रोन का विकास कर रहे हैं, जिसे ताइवान में ‘चिएन फेंग IV’ नाम दिया गया है। अनुमान है कि इस ड्रोन की मारक क्षमता लगभग 1000 किलोमीटर (620 मील) तक होगी।
यह ड्रोन उत्पादन इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाते हुए भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। संभावित संघर्ष की स्थिति में ताइवान इन ड्रोन का इस्तेमाल समुद्र में चीनी जहाजों पर हमला करने के लिए कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक, ताइवान क्षेत्र के पास लगभग 1,700 टैंक और 1,175 से अधिक बख्तरबंद वाहनों का सैन्य भंडार है। इन बख्तरबंद वाहनों में लगभग 650 पटरीय M113 और CM21, CM31 6×6 पहिया वाहन तथा करीब 300 V-150 4×4 पहिया वाहन शामिल हैं। इसके साथ ही, ताइवान क्षेत्र के पास लगभग 1,116 तोपखाने की तोपें भी मौजूद हैं। वायु सैन्य शक्ति की बात करें तो इसमें 42 AH-1W कोबरा हमला हेलीकॉप्टर और UH-1H हेलीकॉप्टर, साथ ही 26 OH-58D किओवा स्काउट हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
यह भी पढ़ें:- एकाधिकार का खेल खतरनाक…आतंकवाद और उग्रवाद पर मोदी का जबरदस्त प्रहार, SCO के मंच पर पाक-US को घेरा
अभी हाल ही में ताइवान ने अपना वार्षिक ‘हान कुआंग’ सैन्य अभ्यास शुरू किया था, जिसमें उसके सैनिक अपनी ताकत और साहस का जोरदार प्रदर्शन किया। इस कदम से चीन नाराज़ हो गया था। ताइवान की इस गतिविधि पर प्रतिक्रिया में चीन सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए ताइवान की सेना से संबंधित आठ कंपनियों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी।