हरियाणा में बीजेपी नेताओं की बगावत
चंडीगढ़: हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हरियाणा की राजनीति गर्म है और बुधवार को बीजेपी के द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद ये गर्माहट पूरे देशभर में फैल गई है। कारण ये है कि हरियाणा में टिकट के आस में बैठे बीजेपी नेताओं ने सूची जारी होने के बाद असंतोष दिखाते हुए बगावत कर दिया है। जिससे बीजेपी की टेंशन सातवें आसमान पर पहुंच गई है और बीजेपी की गुणा-गणित खराब होती हुई दिख रही है।
हरियाणा में होने वाले चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय शेष रह गया है और इस समय पर बीजेपी के लिए ये नुकसान एक बड़ी समस्या के तौर पर है। सवाल ये है कि सूची जारी होने के बाद बीजेपी के लिए इतने बड़े डैमेज कंट्रोल को बीजेपी कैसे ठीक करेगी। क्या प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह या फिर सीएम नायब सिंह सैनी इस डैमेज कंट्रोल की भरपाई के लिए कोई रणनीति तैयार करेने वाले है या फिर चुनाव में बीजेपी को झटका खाने को मिलेगा।
हरियाणा की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी किए जाने के साथ ही पार्टी को एक बड़े बगावत का सामना करना पड़ा और टिकट नहीं मिलने पर नेताओं का पार्टी छोड़ने का ऐलान हरियाणा बीजेपी को हिलाकर कर रख दिया है। बगावत के दौर पर में सूची जारी होने के एक दिन बाद यानी आज गुरुवार को मंत्री रणजीत सिंह चौटाला और विधायक लक्ष्मण दास नापा ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है।
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पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के पुत्र और ऊर्जा एवं जेल मंत्री रणजीत चौटाला (79) ने पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि उन्होंने यह निर्णय अपने समर्थकों के साथ बैठक के बाद लिया है और अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। नापा ने टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ दी, वहीं पूर्व मंत्री कर्ण देव काम्बोज ने भी पार्टी द्वारा उनकी उम्मीदवारी को नजरअंदाज किए जाने के बाद प्रदेश भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा द्वारा चुनाव के लिए 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी किये जाने के तुरंत बाद नापा ने प्रदेश पार्टी प्रमुख मोहन लाल बड़ौली को लिखे एक पत्र में कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। मंत्री संजय सिंह और पूर्व मंत्री संदीप सिंह समेत कुछ मौजूदा विधायकों के नाम भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में नहीं हैं। रतिया से पार्टी ने सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा है।
जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में, चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अशोक तंवर को टिकट दिए जाने के बाद दुग्गल को सिरसा संसदीय क्षेत्र से फिर से मैदान में नहीं उतारा गया था। हालांकि, तंवर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा से हार गए थे। हरियाणा की पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता कविता जैन सोनीपत से टिकट चाह रही थीं।
वह भी पार्टी द्वारा निखिल मदान को निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारने के बाद नाराज हैं। वह सोनीपत में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए भावुक हो गईं और कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी पार्टी के लिए एक समर्पित सैनिक के रूप में काम किया है और उनकी उम्मीदवारी पर विचार किया जाना चाहिए था।
भाजपा के लिए बगावत का संकट उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के कुछ समय बाद ही शुरू हो गया था, क्योंकि इससे कई लोग नाराज हो गए थे। लक्ष्मण नापा ने पार्टी छोड़ने के बाद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके आवास पर मुलाकात की और बाद में कहा कि वह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे।
बीजेपी से नाराजगी को लेकर लक्ष्मण नापा ने कहा कि मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं। उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद भाजपा को एक और झटका देते हुए पूर्व मंत्री कर्ण देव काम्बोज ने कहा कि उन्होंने हरियाणा भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।
इसके साथ ही नापा ने कहा कि वे वर्षों से समर्पण के साथ पार्टी की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “शायद भाजपा को अब निष्ठावानों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी उन नेताओं को टिकट दे रही है जो एक दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए हैं, जबकि उन लोगों की अनदेखी की जा रही है जो वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं।
मंत्री रणजीत चौटाला ने पार्टी द्वारा सिरसा जिले के रानिया विधानसभा क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी को नजरअंदाज़ किए जाने के बाद अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई। चौटाला से जब उनके इस कदम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा मैंने अपने समर्थकों से सलाह-मशविरा करने के बाद यह फ़ैसला लिया।
चौटाला ने कहा मेरे भाजपा से अच्छे संबंध थे। उन्होंने मुझे लोकसभा का टिकट दिया लेकिन पता नहीं उन्होंने किसकी सलाह पर काम किया। मैं कहूंगा कि जिसने भी उन्हें यह सलाह दी है, उसने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “मैं चौधरी देवीलाल का बेटा हूं। मेरा कुछ कद है…मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। चौटाला ने यह भी कहा कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा छोड़ दी है।
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जानकारी के लिए बता दें कि चौटाला रानिया सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनकी जगह शीशपाल काम्बोज को मैदान में उतार दिया। बता दें कि रणजीत लोकसभा चुनाव से पहले रानिया से निर्दलीय विधायक के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे और हिसार संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।