बीजेपी ने दिल्ली चुनाव के लिए 29 उम्मीदवारों का किया ऐलान
नवभारत डेस्क: राजनीति के नजरिये से देखा जाए तो ये साल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। जितना मुश्किल ये साल विपक्ष के लिए रहा है उतना ही ये भारतीय जनता पार्टी के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा है। वो इसलिए क्योंकि 2024 में 5 ऐसी बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुई है, जिसने बीजेपी को हिला कर रख दिया था, जिसकी वजह से बीजेपी का आत्मविश्वास पूरी तरह से चकनाचूर हो गया था और बीजेपी आगे के लिए सावधान हो गई थी।
सबसे पहले बात करें तो इसकी शुरुआत लोकसभा चुनाव से ही हो गई थी। याद दिलाते है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही बीजेपी का आत्मविश्वास उसकी चरम सीमा पर था लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका ये आत्मविश्वास जनता ने वापस से धरती पर ला दिया।
बीजेपी को पहला झटका लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद लगा। इस लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 400 पार का विश्वास था, जो कि असफल रहा। बीजेपी ने नारे तो बड़े लगाए कि अबकी बार 400 पार लेकिन ये किसी काम नहीं आया और जनता ने बीजेपी का आत्मविश्वास को जमीन पर ला दिया, जिससे बीजेपी सतर्क हो गई।
भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक सात चरणों में आयोजित किए गए, जिसमें 543 सीटों के लिए मतदान हुआ। लोकसभा चुनाव में लगभग 96.8 करोड़ योग्य मतदाताओं में से 64.2 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो कुल मतदान का 70% है। महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही, जिसमें 31.2 करोड़ महिला मतदाताओं ने वोट डाला।
चुनाव परिणाम: लोकसभा चुनावों में 400 पार का दावा कर रही बीजेपी केवल 240 सीटें ही हासिल कर पाई, जो 2019 की 303 सीटों से कम हैं। यही वजह रही कि बीजेपी लोकसभा में अपने बलबूते बहुमत से वंचित रह गई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने कुल 293 सीटें हासिल कीं, जो सरकार गठन के लिए काफी थी। विपक्षी इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतीं, जिसमें कांग्रेस की 99 सीटें शामिल हैं, जिससे उसे आधिकारिक विपक्ष का दर्जा मिला।
लोकसभा चुनाव तो बीजेपी के लिए एक झटका था ही, लेकिन एक और झटका बीजेपी को अमेठी में लगा। जहां 2019 में अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के राहुल गांधी के हराने वाली स्मृति ईरानी को 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हरा दिया। कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले किशोरी लाल शर्मा ने पहली बार चुनाव मैदान में उतरकर पासा पलट दिया और स्मृति ईरानी को 1.30 लाख वोट से हराया।
बीजेपी को इस हार की जरा भी उम्मीद नहीं थी, लेकिन स्मृति ईरानी के ओवर कॉन्फिडेंस ने उन्हे यहां मात दी। जोकि उनके साथ-साथ बीजेपी के लिए भी एक बड़ा नुकसान था। क्योंकि राहुल गांधी को हराने के बाद इस तरह की हार का मतलब होता है कि जनता का भरोसा बीजेपी पर नहीं रहा।
2024 के लोकसभा चुनावों का कांग्रेस पार्टी पर प्रभाव:
कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत की और 99 सीटें जीतीं। इससे इंडिया गठबंधन को भी फायदा हुआ। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस को बड़ी ताकत दी। क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चलने की रणनीति ने पार्टी को कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की।
बीजेपी को दूसरा बड़ा झटका हरियाणा में लगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का 5 अक्टूबर 2024 को हुआ, जिसमें सभी 90 सीटों के लिए मतदान संपन्न हुआ। मतगणना 8 अक्टूबर 2024 को की गई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 48 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। कांग्रेस पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को 2 सीटें मिलीं और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की।
इस चुनाव में भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया, जो हरियाणा के इतिहास में पहली बार हुआ है। भले ही चुनाव में बीजेपी की जीत हुई हो लेकिन चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में बड़ा झटका लगा था। चुनाव से ठीक पहले, मार्च 2024 में भाजपा और जननायक जनता पार्टी (JJP) के गठबंधन में दरार पड़ी, जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया। जोकि भाजपा के लिए बड़ा झटका था। इसके बाद नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया, जिन्होंने चुनाव के बाद भी मुख्यमंत्री पद संभाला।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले, विभिन्न राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने-अपने दलों से इस्तीफा दिया, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आए। सितंबर 2024 में, भाजपा ने अपने 21 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की, जिसमें सात वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिया गया, जिनमें दो मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली शामिल थे।
इस निर्णय के बाद, कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उदाहरण के लिए, सफीदों के नेता बचन सिंह आर्य ने पार्टी की सूची जारी होने के एक दिन बाद इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा राज्य इकाई के उपाध्यक्ष संतोष यादव ने भी पार्टी छोड़ते हुए आरोप लगाया कि वफादार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। जजपा को भी चुनाव से पहले झटका लगा, जब 24 घंटों के भीतर उसके चार विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
झारखंड में 81 सीटों के लिए मतदान हुआ। राज्य के गठन के बाद यह पहली बार है कि सत्ता में पांच साल रहने के बाद किसी गठबंधन ने चुनाव जीता है। झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम ने सत्तारूढ़ गठबंधन को जीत दिलाई। जेएमएम ने 34 सीटें जीती। कांग्रेस 16, आरजेडी 4 और सीपीआई (एमएल) दो। बीजेपी केवल 21 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। झारखंड में बीजेपी के लिए विपक्ष का यह एक और करारा जवाब था।
पांचवा झटका बीजेपी के लिए सकारात्मक था, क्योंकि साल भर मिले झटकों के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोकसभा चुनाव के बाद से ही महाराष्ट्र में बीजेपी अलर्ट हो गई। ऐसे में बीजेपी ने महायुति के साथ मिलकर वो हर काम पूरे किए, जिसे लेकर जनता काफी समय से पार्टी से नाराज चल रही थी। महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दे हल किए गए, महिलाओं के लिए लाड़की बहिन योजना लाई गई।
इस तरह के काम महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ-साथ महायुति के लिए भी रामबाण इलाज साबित हुए। जब नतीजे आए तो बीजेपी ने उम्मीद से भी ज्यादा बहुमत हासिल कर जीत दर्ज की जो कि महायुति के साथ ही बीजेपी के महाजीत के रूप में उभरी।
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हुए आम चुनावों के नतीजे शनिवार, 23 नवंबर को घोषित किए गए। हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति ने कुल 288 निर्वाचन क्षेत्रों में से 230 सीटें हासिल कीं। भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जबकि उसके सहयोगी दल- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीटें जीतीं, और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।
इसके विपरीत, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को करारा झटका लगा, जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 16 सीटें हासिल कीं, और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) को सिर्फ़ 10 सीटें मिलीं।