विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (सौ.सोशल मीडिया)
World Mental Health Day 2025: भागदौड़ भरी जिंदगी हर किसी की जीवनशैली अनियमित सी हो गई है तो वहीं पर गलत खानपान का असर सेहत पर बुरी तरह पड़ रहा है। इस अस्त-व्यस्त सी जिंदगी में हर युवा हो या बुजुर्ग किसी ना किसी समस्या से जूझ रहा है। स्ट्रेस और डिप्रेशन, ये दो ऐसे खतरनाक गलत प्रभाव है कि, जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ बना देता है।
मानसिक स्वास्थ्य या मेंटल हेल्थ को लेकर हर साल की तरह आज 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) के रुप में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और यह समझाना कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर होती हैं जितनी शारीरिक बीमारियां। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि आज के युवा तेजी से डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
इस तरह से तेज रफ्तार जीवनशैली, सोशल मीडिया का दबाव, करियर की अनिश्चितता और रिश्तों में अस्थिरता, ये सब युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं। आज का युवा लगातार खुद की तुलना दूसरों से करता है। इसके अलावा भरपूर नींद नहीं ले पाना, खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, और डिजिटल लत भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं। दिन-रात मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन में डूबे रहना न सिर्फ आंखों बल्कि दिमाग को भी थका देता है। डिप्रेशन और स्ट्रेस में रहने की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यहां पर लोग मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। ऐसे में एक बात ध्यान देने वाली है कि भले ही व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है, जरूरी नहीं कि वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ हो।
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यहां पर अगर आप डिप्रेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे है तो आपको बचाव करना चाहिए। यहां पर डिप्रेशन से बचाव के लिए सबसे जरूरी है खुलकर बात करना। परिवार या दोस्तों के साथ अपने मन की बात साझा करना मानसिक बोझ को काफी हद तक हल्का कर सकता है। साथ ही, मेडिटेशन और योग जैसी चीजें मन को शांत रखने में मदद करती हैं। इसके अलावा आप पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और डिजिटल डिटॉक्स को भी अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते है। यहां पर गंभीर लक्षण होने के साथ ही विशेषज्ञ की मदद लेने से संकोच नहीं करना चाहिए। यहां पर युवाओं को इस बात को समझना जरूरी है कि, मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी नहीं, बल्कि इंसान की वास्तविक ताकत है। जिस तरह शरीर की बीमारी का इलाज संभव है, वैसे ही मन की उलझनों का भी समाधान है।
आईएएनएस के अनुसार