हसनपुर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
Hasanpur Assembly Constituency Profile: हसनपुर की रणनीतिक अहमियत बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल में स्थित हसनपुर विधानसभा सीट राजनीतिक विश्लेषकों के लिए विशेष रुचि का विषय बनी हुई है। यह सीट सिर्फ एक विधायक नहीं चुनती, बल्कि राज्य की सत्ता के समीकरणों को भी प्रभावित करती है। यहां की जातीय संरचना और राजनीतिक इतिहास इसे चुनावी बिसात पर एक निर्णायक मोहरा बनाते हैं।
साल 2000 के बाद से हसनपुर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती रही है। हालांकि, 2020 के चुनाव में यह सीट राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब राजद ने लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को यहां से उम्मीदवार बनाया। तेज प्रताप की छवि और उनके राजनीतिक व्यवहार ने इस सीट को मीडिया और जनता के बीच चर्चा का विषय बना दिया।
तेज प्रताप यादव पहले वैशाली जिले के महुआ से विधायक रह चुके थे, जहां उन्होंने 2015 में करीब 21,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद लालू यादव ने उनके लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश की और हसनपुर को चुना, जो यादव बाहुल्य क्षेत्र है। यहां यादव समुदाय की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है, जिससे उन्हें मजबूत समर्थन मिला। 2020 में तेज प्रताप ने जदयू के राजकुमार राय को 21,139 वोटों के अंतर से हराया। उन्हें कुल 80,991 वोट (47.27%) मिले, जबकि राजकुमार राय को 59,852 वोट (34.93%) प्राप्त हुए।
हसनपुर विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था और शुरुआती चार दशकों तक यह सीट गजेंद्र प्रसाद हिमांशु के इर्द-गिर्द घूमती रही। हिमांशु ने सात बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और विभिन्न समाजवादी दलों के बैनर तले जीत दर्ज की। वे दो बार मंत्री और बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे। एक बार उन्होंने मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव ठुकराकर अपने नैतिक कद को और ऊंचा किया। उनकी राजनीतिक यात्रा ने हसनपुर को एक ऐसा गढ़ बना दिया, जहां सिद्धांत और निष्ठा पार्टी से अधिक मायने रखते थे।
हसनपुर पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है, जहां की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है। कमला और बूढ़ी गंडक नदियों के बहाव के कारण यह क्षेत्र कृषि के लिए अत्यंत उपजाऊ है। यहां धान, गेहूं और मक्का की खेती प्रमुख है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है।
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2024 तक हसनपुर में लगभग 2,99,401 पंजीकृत मतदाता हैं। यहां का जातीय समीकरण यादव, कुशवाहा, मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग पर आधारित है। यादव मतदाता 30% से अधिक हैं, अनुसूचित जाति 17.55% और मुस्लिम मतदाता लगभग 11.20% हैं। राजद पारंपरिक रूप से यादव-मुस्लिम समीकरण पर निर्भर रहा है, जबकि जदयू-भाजपा गठबंधन अति पिछड़ा वर्ग, कुशवाहा और महादलित मतदाताओं को साधने में सफल रहा है।
हाल ही में लालू परिवार ने तेज प्रताप यादव को राजद से बेदखल कर दिया है, जिसके बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली है। यह घटनाक्रम हसनपुर के चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है। जहां एक ओर राजद को अपने पारंपरिक वोट बैंक को बचाए रखना होगा, वहीं तेज प्रताप की नई पार्टी और जदयू की पुरानी पकड़ इस सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है।
हसनपुर अब सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि वंशवाद, जातीय समीकरण और जनप्रतिनिधि की जवाबदेही का प्रतीक बन चुका है। 2025 का चुनाव तय करेगा कि क्या राजद अपनी पकड़ बनाए रखेगा, जदयू वापसी करेगा या तेज प्रताप की नई पार्टी कोई चौंकाने वाला परिणाम देगी।