संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम पर चर्चा तेज हो गई है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस पर बात की, जिसके बाद समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने बीजेपी को घेरते हुए जोरदार भाषण दिया। उन्होंने सवाल किया, “अगर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्रगीत को स्वेच्छा पर छोड़ा, तो क्या वह मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे थे?” इकरा हसन ने कहा कि अटल जी ने राजधर्म निभाते हुए सभी धर्मों को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने आगे कहाकि वंदे मातरम के छंदों को स्वीकृति देने में महान नेताओं जैसे रविंद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस की सोच थी, जिन्होंने इसे देश को एकजुट करने का माध्यम माना। उन्होंने देश की गंभीर पर्यावरण समस्याओं पर भी बात की, जैसे गंगा-यमुना का प्रदूषण और किसानों की कठिनाइयां। उनका कहना था कि वंदे मातरम का असली अर्थ प्रकृति और नागरिक सुरक्षा की रक्षा करना है, जो आज के भारत में एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम पर चर्चा तेज हो गई है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस पर बात की, जिसके बाद समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने बीजेपी को घेरते हुए जोरदार भाषण दिया। उन्होंने सवाल किया, “अगर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्रगीत को स्वेच्छा पर छोड़ा, तो क्या वह मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे थे?” इकरा हसन ने कहा कि अटल जी ने राजधर्म निभाते हुए सभी धर्मों को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने आगे कहाकि वंदे मातरम के छंदों को स्वीकृति देने में महान नेताओं जैसे रविंद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस की सोच थी, जिन्होंने इसे देश को एकजुट करने का माध्यम माना। उन्होंने देश की गंभीर पर्यावरण समस्याओं पर भी बात की, जैसे गंगा-यमुना का प्रदूषण और किसानों की कठिनाइयां। उनका कहना था कि वंदे मातरम का असली अर्थ प्रकृति और नागरिक सुरक्षा की रक्षा करना है, जो आज के भारत में एक बड़ी चुनौती बन चुका है।






