तेज प्रताप यादव (डिजाइन फोटो)
Tej Pratap Yadav Profile: बिहार की राजनीति में तेज प्रताप यादव एक ऐसा चेहरा हैं, जो पारंपरिक राजनीतिक विरासत, व्यक्तिगत विवादों और वैकल्पिक राजनीतिक प्रयोगों के बीच लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बड़े पुत्र तेज प्रताप ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक मंत्री के रूप में की, लेकिन समय के साथ उनका सफर विवादों, पारिवारिक तनाव और राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित होता गया। फिलहाल वह एक नया राजनीतिक दल बनाकर अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे तीसरी बार बिहार विधानसभा में जा सकें।
16 अप्रैल 1988 को गोपालगंज में जन्मे तेज प्रताप यादव लालू-राबड़ी परिवार के नौ संतानों में सबसे बड़े पुत्र हैं। उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। तेज प्रताप ने 2010 में बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता का अंतिम पड़ाव रहा।
तेज प्रताप की शादी 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती हैं। यह विवाह राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से काफी चर्चित रहा, लेकिन जल्द ही विवादों में घिर गया। ऐश्वर्या ने तेज प्रताप पर घरेलू हिंसा, नशा सेवन और असामान्य व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए। मामला पारिवारिक न्यायालय में लंबित है।
तेज प्रताप यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)
2025 में तेज प्रताप ने फेसबुक पर अनुष्का यादव नामक महिला के साथ अपने 12 साल पुराने रिश्ते का खुलासा किया, जिससे राजनीतिक और पारिवारिक हलकों में हलचल मच गई। उन्होंने पहले इसे हैकिंग का मामला बताया, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि पोस्ट उन्होंने ही किया था। इसके बाद उनके पिता लालू यादव ने उन्हें राजद से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया और पारिवारिक संबंध भी समाप्त करने की घोषणा की।
तेज प्रताप यादव ने 2015 में महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा में प्रवेश किया और नीतीश कुमार की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। उन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में भी कार्य किया और घुड़सवारी को प्रदूषण नियंत्रण के उपाय के रूप में प्रचारित किया। 2020 में वे हसनपुर से विधायक बने और लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे।
हालांकि, उनके राजनीतिक कार्यकाल में कई बार व्यक्तिगत विवादों ने उनकी छवि को प्रभावित किया। ऐश्वर्या राय से वैवाहिक कलह के चलते 2020 के विधानसभा चुनाव में परसा सीट पर राजनीतिक तनाव बना रहा, जहां ऐश्वर्या ने खुले तौर पर नीतीश कुमार को समर्थन देने की अपील की।
तेज प्रताप का राजनीतिक जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा। मार्च 2025 में होली के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे अपने अंगरक्षक को नृत्य करने का आदेश देते हुए धमकी देते नजर आए। इस घटना ने उनकी सार्वजनिक छवि को और नुकसान पहुंचाया।
अनुष्का यादव के साथ तेज प्रताप यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)
इसके अलावा, अनुष्का यादव के साथ संबंधों को लेकर सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट ने उन्हें पार्टी और परिवार से अलग-थलग कर दिया। लालू यादव द्वारा की गई निष्कासन की घोषणा ने यह स्पष्ट कर दिया कि तेज प्रताप अब राजद की मुख्यधारा राजनीति से बाहर हैं।
राजद से निष्कासन के बाद तेज प्रताप ने 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए एक नया राजनीतिक गठबंधन बनाने की घोषणा की। उन्होंने वंचित विकास इंसान पार्टी, भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बनाई। हालांकि, उन्होंने खुद कोई राजनीतिक दल नहीं बनाया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की बात कही।
बाद में 26 सितंबर 2025 को उन्होंने जनशक्ति जनता दल (JJD) की स्थापना की, जिसका चुनाव चिन्ह ब्लैक बोर्ड और बांसुरी रखा गया। पार्टी का नेतृत्व बालेंद्र दास को सौंपा गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि तेज प्रताप अब एक नई राजनीतिक पहचान गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
तेज प्रताप यादव का राजनीतिक सफर में तरह-तरह की जटिलताएं हैं। एक ओर जहां उनके पास विरासत की ताकत है, लेकिन व्यक्तिगत व्यवहार और विवादों ने उसे कमजोर किया है। वे दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पहचान अब पारंपरिक राजद से अलग हो चुकी है। उनके वैकल्पिक राजनीतिक प्रयोग यह दर्शाते हैं कि वे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
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हालांकि, उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे अपनी छवि को विवादों से मुक्त कर एक स्थिर और गंभीर नेता के रूप में प्रस्तुत कर पाते हैं या नहीं। बिहार की राजनीति में जहां जातीय समीकरण और गठबंधन की पेचीदगियां हावी रहती हैं, तेज प्रताप को एक स्पष्ट विचारधारा और संगठित नेतृत्व की आवश्यकता है। यदि वे इन चुनौतियों को पार कर पाते हैं, तो वे भविष्य में एक प्रभावशाली क्षेत्रीय नेता के रूप में उभर सकते हैं, वरना उनका राजनीतिक सफर एक अस्थिर प्रयोग बनकर रह जाएगा।