नूर वली महसूद (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan-TTP Clash: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के केंद्र में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का सरगना नूर वली महसूद है, जिसे निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान बार-बार एयरस्ट्राइक कर रहा है। हाल ही में, 9 अक्टूबर 2025 को काबुल में हुई पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक के पीछे मुख्य लक्ष्य महसूद था। हालांकि, उसकी मौत को लेकर अफवाहें उड़ीं, जिसे टीटीपी ने तुरंत खारिज कर दिया।
9 अक्टूबर 2025 को टीटीपी ने पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया था, जिसमें 11 जवान मारे गए थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने उसी दिन काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका पर एयरस्ट्राइक की। यह हमला काबुल के अब्दुल हक स्क्वायर के पास हुआ, जिसका सीधा निशाना नूर वली महसूद थे। अमू टीवी को सूत्रों ने बताया कि महसूद मारा गया, लेकिन तालिबान ने दावा किया कि वह सुरक्षित है और उस समय काबुल में नहीं था। टीटीपी ने भी उनकी आवाज का नोट जारी कर उनकी मौत की अफवाहों को गलत बताया।
नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान के तियारजा इलाके में हुआ था। वह मेहसूद कबीले के मेचीखेल उप-कबीले से ताल्लुक रखता है। उन्होंने मदरसा सिद्दीकिया उस्पास में अपनी शुरुआती पढ़ाई शुरू की, और 1990 के दशक में वह फैसलाबाद, गुजरांवाला और कराची जैसे शहरों के मदरसों में पढ़ते रहे।
अपने अनुयायी के साथ TTP का सरगना नूर वली महसूद (सोर्स- सोशल मीडिया)
1996-97 में उनकी पढ़ाई बीच में छूट गई, जब वह अफगानिस्तान चले गए और अफगान तालिबान के साथ अहमद शाह मसूद की नॉर्दर्न अलायंस के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने मजार-ए-शरीफ और काबुल के पास की जंगों में भी हिस्सा लिया। 1999 में पाकिस्तान लौटने पर उन्हें ‘मुफ्ती’ (इस्लामी धार्मिक विद्वान) की डिग्री मिली। 1999 से 2001 तक उन्होंने दक्षिण वजीरिस्तान के गोरगोराय इलाके में मदरसा इमदाद-उल-उलूम में इस्लामी थियोलॉजी भी पढ़ाई।
नूर वली 2003 में पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) के मेहसूद ब्रांच में शामिल हो गए। उन्होंने इसे पश्तून परंपराओं (पश्तूनवाली) के उल्लंघन के खिलाफ और अमेरिकी साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक ‘रक्षात्मक जिहाद’ करार दिया, खासकर तब, जब पाकिस्तान की सेना फ़ाटा में ऑपरेशन चला रही थी। वह बैतुल्लाह मेहसूद के अधीन काजी (जज) बने और बाद में डिप्टी भी बने।
वह 2013 में टीटीपी के कराची शाखा के प्रमुख बने, जहां उग्रवादियों ने फिरौती, अपहरण और बैंक डकैती जैसे अपराध किए। फरवरी 2018 में वह मौलाना फजलुल्लाह के डिप्टी बने। जून 2018 में अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में फजलुल्लाह मारा गया, जिसके बाद नूर वली को टीटीपी का अमीर (सरगना) चुना गया। उनके नेतृत्व में TTP मजबूत हुआ और अब यह समूह सिविलियंस के बजाय केवल सुरक्षा बलों पर हमले करता है।
TTP के टॉप कमांडर (सोर्स- सोशल मीडिया)
नूर वली एक धार्मिक विद्वान होने के साथ-साथ कमांडर और प्रचारक भी हैं। वह टीटीपी के पब्लिकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख थे। 2017 में उन्होंने 690 पेज की किताब ‘इंकलाब-ए-मेहसूद: साउथ वजीरिस्तान – फिरंगी राज से अमेरिकी सम्राज्य तक’ लिखी, जिसमें टीटीपी के इतिहास, ऑपरेशन और फंडिंग का विवरण है। उन्होंने एक किताब में बेनजीर भुट्टो की हत्या का श्रेय भी लिया था। उनकी गतिविधियों के कारण, अमेरिका ने 10 सितंबर 2019 को उन्हें ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया, और जुलाई 2020 में संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की लिस्ट में डाला गया।
2021 के बाद से टीटीपी ने अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। महसूद के नेतृत्व में, यह समूह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान उसे पनाह देता है, जिससे तनाव बढ़ गया है और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी है।
अगर नूर वली महसूद मारा जाता है, तो टीटीपी में अस्थायी अस्थिरता आ सकती है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बैतुल्लाह, हकीमुल्लाह और फजलुल्लाह जैसे पूर्व नेताओं की मौत के बाद भी यह समूह वापस लौटा है, इसलिए खतरा बरकरार रहने की संभावना है।