
एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में दर्दनाक गूंज (फोटो- सोशल मीडिया)
Sonagachhi SIR Voter List: एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी की संकरी गलियों में इन दिनों एक अजीब सा डर और बेचैनी है। मामला मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR से जुड़ा है। मंगलवार को जब निर्वाचन आयोग के सहायता शिविर वहां लगे, तो सैकड़ों सेक्स वर्कर्स अपनी पहचान बचाने के लिए कतारों में खड़ी नजर आईं। उनके चेहरों पर अपना नाम कटने का खौफ साफ पढ़ा जा सकता था। इसी डर के बीच पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल ने खुद वहां का दौरा किया और इन महिलाओं की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की।
इस वार्ड के लगभग 11000 मतदाताओं में से करीब 3500 सेक्स वर्कर अभी भी गणना अभियान से दूर हैं। इनके पास वंशावली के सबूत नहीं हैं क्योंकि कई दशक पहले तस्करी या परिवार से बिछड़ने के कारण इनका अपने पैतृक घर से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। एक 30 साल की महिला का दर्द छलक पड़ा जब उसने कहा कि हमसे उन माता-पिता के बारे में पूछा जा रहा है जिन्हें भूलने पर हमें मजबूर किया गया था। अब डर है कि हमें फिर से मिटा दिया जाएगा। हालांकि, महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने भी भरोसा दिलाया है कि तकनीकी कारणों से किसी भी पात्र महिला का वोट नहीं छिनने दिया जाएगा।
47 साल की पूजा दास के लिए यह प्रक्रिया पुराने घावों को फिर से कुरेदने जैसी है। 20 साल की उम्र में नादिया जिले से नौकरी का झांसा देकर लाई गई पूजा फिर कभी अपने घर नहीं लौट सकीं। उनका कहना है कि उन्होंने यहीं बच्चों को जन्म दिया और पाला, लेकिन अब अचानक माता-पिता का पता पूछना उन्हें डरा रहा है। उनके लिए यह संकट कोविड जैसा ही बड़ा है। वहीं 51 साल की कोहिनूर बेगम, जो 1994 में यहां आई थीं, का कहना है कि लोकतंत्र जरूरी है, लेकिन पेट भरना भी उतना ही जरूरी है। अगर वे काम नहीं करेंगी तो उन्हें कौन खिलाएगा? यहां कई महिलाओं को अपना असली नाम तक याद नहीं है और बचपन से दूसरी औरतों को ही मां मानती आई हैं।
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल ने लोगों को आश्वस्त किया कि जिनके पास रिश्तेदारों के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। सत्यापन के लिए स्थानीय लोगों और पंजीकृत एनजीओ की मदद ली जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि जो महिलाएं 2002 की सूची में नहीं थीं लेकिन पिछले चुनावों में वोट दे चुकी हैं, उनके नाम सुरक्षित रहेंगे। अन्य लोग 16 दिसंबर से फॉर्म-6 भर सकते हैं और अंतिम सूची 14 फरवरी को प्रकाशित होगी। शिविर के दौरान एक युवती को गोद में बच्चा लिए रोते देख सीईओ ने उसे ढांढस बंधाया और कहा कि चिंता न करें, आपका नाम मतदाता सूची में बरकरार रहेगा।






