
लोकतंत्र को डैमेज करने के लिए आयोग का इस्तेमाल- राहुल गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
Rahul Gandhi Lok Sabha Speech on Election Reforms Debate: लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान आज चुनाव सुधार पर चर्चा का दिन थो सदन का माहौल भी गरमा जाना लाजमी था तो हुआ भी ऐसा ही माहौल गरमाया भी जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चुनाव सुधारों पर बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत तो खादी और कपड़ों के खूबसूरत उदाहरण से की, लेकिन चर्चा का रुख जल्द ही तीखे राजनीतिक हमलों की तरफ मुड़ता गया। राहुल ने सत्ता पक्ष, चुनाव आयोग और संघ को लेकर ऐसे गंभीर दावे कर दिए कि सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि सांसदों के शोर-शराबे के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
राहुल गांधी ने भारत की तुलना एक फैब्रिक से करते हुए कहा कि जैसे कपड़े में हर धागा समान होता है, वैसे ही देश का हर नागरिक बराबर है। उन्होंने असमिया गमछे और कांचीपुरम साड़ी का जिक्र करते हुए कहा कि खादी सिर्फ कपड़ा नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। लेकिन विवाद तब बढ़ा जब उन्होंने कहा कि समानता की इस भावना से आरएसएस को दिक्कत है। राहुल ने सीधा आरोप लगाया कि आज देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति एक ही संगठन से जुड़े हैं और धीरे-धीरे सभी संस्थाओं पर कब्जा किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग का सत्ता के साथ गहरा तालमेल है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने हरियाणा और कर्नाटक चुनावों में गड़बड़ी साबित करके दिखाई है। उनका कहना था कि सरकार लोकतंत्र को डैमेज करने के लिए आयोग का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से सीजेआई को हटाने और दिसंबर 2023 में बदले गए नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यह सब चुनाव को कंट्रोल करने के लिए किया गया है। राहुल ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह की मौजूदगी में नियम बदले गए ताकि किसी चुनाव आयुक्त को दंडित न किया जा सके।
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जब राहुल ने नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की हत्या और संस्थाओं पर कब्जे का जिक्र किया तो सत्ता पक्ष के सांसद अपनी कुर्सियां पीटने लगे और नारेबाजी करने लगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अपनी सीट से खड़े होकर कहा कि राहुल विषय से भटककर सबका समय बर्बाद कर रहे हैं। वहीं स्पीकर ओम बिरला ने राहुल को टोकते हुए स्पष्ट कहा कि नेता प्रतिपक्ष होने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी बोल सकते हैं। उन्होंने राहुल को किसी संगठन का नाम न लेने और सिर्फ चुनाव सुधार के विषय पर ही बात करने की सख्त हिदायत दी।






