कृषि छात्राओं का मार्लेगाव में कृषि तालाब का दौरा
Umarkhed News: यहां के कृषि महाविद्यालय की छात्राओं ने तहसील के मार्लेगाव गांव में कृषि तालाब का दौरा किया और उसका निरीक्षण किया। इस भ्रमण का उद्देश्य कृषि तालाबों के महत्व, उनके उपयोग और किसानों के लिए लाभों के बारे में जानकारी एकत्र करना और किसानों का मार्गदर्शन करना था। भ्रमण के दौरान, छात्राओं ने सबसे पहले कृषि तालाब की संरचना का अध्ययन किया। उन्होंने मिट्टी के प्रकार, तालाब की भंडारण क्षमता, वर्षा ऋतु में जल संग्रहण और ग्रीष्म ऋतु में उपयोग जैसे सभी पहलुओं की जांच की और जानकारी एकत्र की। उन्होंने किसानों से बातचीत की और बताया कि कृषि तालाब कैसे लाभदायक हैं।
कृषि छात्राओं ने बताया कि कृषि तालाबों के कारण किसान वर्षा जल का भंडारण कर सकते हैं और उसका उपयोग ग्रीष्मकालीन सिंचाई के लिए कर सकते हैं। इससे फसलों को समय पर पानी मिलता है, उत्पादन बढ़ता है और किसान जल संरक्षण में आत्मनिर्भर बनते हैं। कृषि तालाबों के कारण भूजल स्तर बढ़ता है और कुओं व बोरवेल में पानी की उपलब्धता बनी रहती है। इसके साथ ही, खेत के तालाब का पानी कृषि के साथ-साथ बाग-बगीचों, सब्जियों और चारे की फसलों के लिए भी उपयोगी है।
उन्होंने खेत के तालाब के अन्य उपयोगों के बारे में भी जानकारी दी। खेत के तालाब के पानी का उपयोग मछली पालन के लिए किया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हो सकती है। कुछ किसान खेत के तालाब के पानी का उपयोग ठिंबक सिंचाई और तुषार सिंचाई के लिए करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और फसलों को केवल आवश्यक मात्रा में पानी मिलता है।भ्रमण के दौरान, कृषि छात्राओं ने खेत के तालाब के रखरखाव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खेत के तालाब के किनारे पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव कम होता है और तालाब का जीवनकाल बढ़ता है।
साथ ही, गाद जमा होने से रोकने के लिए समय-समय पर तालाब की सफाई भी आवश्यक है। यदि उचित रखरखाव न किया जाए, तो खेत के तालाब की भंडारण क्षमता कम हो जाती है, इसलिए किसानों को इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।इस अवसर पर, कृषि छात्राओं ने गांव के किसानों को खेत के तालाबों के लाभ बताए और जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया। उपस्थित किसानों ने भ्रमण का स्वागत किया और ग्रामीणों ने खेत के तालाब के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने पर संतोष व्यक्त किया।
मार्लेगाव स्थित कृषि तालाब के निरीक्षण से किसानों को जल संरक्षण एवं जल प्रबंधन पर मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। आशा व्यक्त की गई कि इससे राज्य सरकार के ‘जल अवरोधन, जल संरक्षण’ अभियान को गति मिलेगी और किसान सतत कृषि की ओर अग्रसर होंगे।
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कृषि महाविद्यालय उमरखेड़ के मार्गदर्शन में की गई इस पहल से विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ और साथ ही किसानों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि तालाबों के महत्व को समझाने में भी सफलता मिली। यह पहल प्राध्यापिका सोलंके के मार्गदर्शन में, प्राचार्य एस.के. चिंतले, कार्यक्रम अधिकारी वाई. एस. वाकोडे, रावे प्रभारी ए.बी.इंगले के सहयोग से संपन्न हुई। वैष्णवी गावंडे, निधि रिठे, अदिति निलजकर, निशा डोंगरे, तन्वी वासनिक, वैष्णवी वाडनकर ने विस्तृत जानकारी दी।