
कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम से जुड़ने लगे उत्तर भारतीय
Mumbai Congress: मुंबई कांग्रेस के उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ द्वारा उत्तर भारतीय समाज को कांग्रेस से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई संवाद मुहिम अब असर दिखाने लगी है। रविवार को जोगेश्वरी (पश्चिम) स्थित विघ्नेश्वर मैदान में उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ के अभियान ‘संवाद उत्तर भारतीयों से चर्चा मुद्दों पर’ के तहत बड़ी संख्या में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों ने भाग लिया।
उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एडवोकेट अवनीश तीर्थराज सिंह ने ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों की समस्याओं का समाधान किया जाता था, लेकिन भाजपा सरकार में उनके हितों की अनदेखी हो रही है। उन्होंने कहा कि आज का संवाद कार्यक्रम रिक्शा व्यवसाय से जुड़ा है और इससे संबंधित समस्याओं को कांग्रेस के घोषणापत्र (मेनिफेस्टो) में शामिल किया जाएगा।
एड. अवनीश तीर्थराज सिंह ने कहा कि चुनाव के समय धर्म और जाति के नाम पर लोगों को भड़काकर राजनीति की जाती है, लेकिन समाज में रचनात्मक कार्य करने वालों को ही जनप्रतिनिधि चुना जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर राजनीति करने वालों से सावधान रहने की अपील की। सिंह ने यह भी कहा कि उत्तर भारतीय समाज की समस्याओं, सुझावों, संस्कृति और एकता को एक मंच पर लाने का यह एक सार्थक प्रयास है। यह व्यापक जनसंपर्क अभियान उत्तर भारतीय समाज से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
संवाद कार्यक्रम के दौरान टैक्सी चालकों ने अपनी समस्याएं रखते हुए बताया कि बीएमसी द्वारा टैक्सी पार्किंग के लिए बनाए गए टैक्सी स्टैंड को समाप्त किया जा रहा है। सरकार की गलत नीतियों के कारण मुंबई की पहचान मानी जाने वाली काली-पीली टैक्सी सेवा खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है। वहीं ऑटो-रिक्शा चालकों ने आरोप लगाया कि ट्रैफिक पुलिस उन्हें बेवजह परेशान करती है।
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कई रिक्शा चालकों ने बताया कि वे पैसेंजर के इंतजार में रिक्शा लेकर खड़े रहते हैं, तभी पीछे से हवलदार आकर फोटो खींचता है और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर देता है, जिससे उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ता है। इस अवसर पर उत्तर भारतीय समाज के विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। उत्तर भारतीय प्रकोष्ठ ने इस संवाद अभियान की शुरुआत 7 दिसंबर को की थी, जिसकी पहली कड़ी में मुंबई के तबेले वालों के साथ संवाद किया गया था।






