
सराहनीय रहा पुलिस का बंदोबस्त (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Winter Session: वैसे तो पुलिस को वर्ष भर विभिन्न प्रकार के बंदोबस्त करने होते हैं। होली हो या पोला, चुनाव हो या कोई सामाजिक जुलूस—हर अवसर पर पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन सबसे अधिक दबाव विधानमंडल सत्र के दौरान रहता है। शीतकालीन सत्र के समय केवल नागपुर पुलिस ही नहीं, बल्कि राज्यभर के विभिन्न जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल और एसआरपीएफ को भी तैनात किया जाता है। इस बार करीब 4,000 अधिकारी और कर्मचारी बंदोबस्त के लिए नागपुर पहुंचे थे।
ऐसे में उनके ठहरने और भोजन की समुचित व्यवस्था करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। भले ही शीतकालीन सत्र की अवधि केवल सात दिन रही हो, लेकिन इसकी तैयारी सिटी पुलिस ने लगभग एक महीने पहले से शुरू कर दी थी। पुलिस आयुक्त रविंद्रकुमार सिंघल ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि शहर के बाहर से आए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की मेजबानी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। इसी के तहत नागपुर शहर के पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने सभी स्थलों पर बेहतर इंतजाम सुनिश्चित किए।
पुलिस की जिम्मेदारी केवल वीआईपी सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं होती। अन्य विभागों की तुलना में पुलिस विभाग पर सबसे अधिक तनाव रहता है। दूर-दराज से आने वाले आंदोलनकारियों के साथ समन्वय स्थापित करना, उन्हें मोर्चा स्थल से मंत्रियों तक ले जाना और फिर सुरक्षित वापस पहुंचाना एक जटिल कार्य होता है। कई बार जब मंत्री शिष्टमंडल से मिलने से इनकार कर देते हैं, तो आंदोलनकारियों का आक्रोश भी पुलिस को ही झेलना पड़ता है। इसके बावजूद इस बार तीन-चार संगठनों को छोड़कर अधिकांश शिष्टमंडलों ने बिना किसी विवाद के अपने निवेदन पत्र सौंप दिए।
बाहर से आए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की मेजबानी की पूरी जिम्मेदारी डीसीपी मुख्यालय दीपक अग्रवाल को सौंपी गई थी। उन्होंने विकेंद्रीकरण की नीति अपनाते हुए कार्यों को विभिन्न अधिकारियों में बांट दिया, जिससे किसी भी स्तर पर अव्यवस्था नहीं हुई।
सात अलग-अलग स्थानों पर पुलिसकर्मियों के भोजन की व्यवस्था की गई थी। प्रत्येक स्थल पर भोजन व्यवस्था, गर्म पानी, बिजली और अन्य सुविधाओं के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी। इस बार पुलिसकर्मियों के लिए विदर्भ का विशेष भोजन मेन्यू पहले से तय किया गया था, जिसे अलग-अलग वेंडरों के माध्यम से उपलब्ध कराया गया।
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हर वर्ष शीतकालीन सत्र के दौरान शहरवासियों को भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि मोर्चों के चलते कई मार्ग परिवर्तित करने पड़ते हैं। लेकिन इस बार पुलिस का प्रयास था कि शहर की लाइफलाइन माने जाने वाले शहीद गोवारी पुल पर यातायात किसी भी स्थिति में बंद न हो। यह पहली बार रहा जब पूरे सत्र के दौरान एक भी बार फ्लाईओवर पर आवागमन बाधित नहीं हुआ। मोर्चों के समय थोड़ी बहुत असुविधा स्वाभाविक रही, लेकिन इसके अलावा शहरवासियों को किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि शीतकालीन सत्र के बावजूद दिन के समय फ्लाईओवर पर भारी वाहनों की आवाजाही होना चिंता का विषय जरूर रहा।
एसआरपीएफ के एक जवान ने बताया कि बंदोबस्त के दौरान कहीं भी कोई खामी नजर नहीं आई। स्वच्छ बिस्तर, स्नान के लिए गर्म पानी और समय पर नाश्ता उपलब्ध कराया गया। जहां ड्यूटी थी, वहीं भोजन का पंडाल लगाया गया था। गरमा-गरम भोजन में विदर्भ की विशेष वांगे-आलू की तर्रीदार सब्जी और पाटोड़ी रस्सा का स्वाद भी मिला। आमतौर पर ऐसी व्यवस्थाओं में कुछ न कुछ कमी रह जाती है, लेकिन इस बार बेहतर नियोजन के कारण सब कुछ संतोषजनक रहा।






