छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक (सौजन्य-एक्स)
सिंधुदुर्ग: सिंधुदुर्ग के मालवण स्थित राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की नवनिर्मित भव्य प्रतिमा पर एक बार फिर से संकट मंडरा रहा है। कुछ दिन पहले जिस प्रतिमा का भव्य लोकार्पण किया गया था, उसके चबूतरे के किनारे की जमीन धंस गई है। इस वजह से महाराज की प्रतिमा के बाईं ओर एक बड़ी दरार पड़ गई है। नतीजतन चबूतरे के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं।
राजकोट किले पर पहले स्थापित की गई महाराज की लगभग 40 फीट ऊंची प्रतिमा 26 अगस्त 2024 को गिर गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस प्रतिमा का अनावरण किया था। इस वजह से सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। विपक्ष ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार पर जोरदार हमला बोला था। उसके बाद महायुति सरकार ने प्रतिमा की जगह पर फिर से हाथ में तलवार वाली महाराज की 83 फीट ऊंची नई प्रतिमा का निर्माण कराया है।
इस प्रतिमा को 10 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया गया है। मई 2025 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिमा का अनावरण किया था। लेकिन एक महीने के भीतर ही प्रतिमा के चबूतरे की जमीन धंस गई है। इससे संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन का दावा है कि प्रतिमा सुरक्षित है। प्रतिमा को कोई खतरा नहीं है।
सिंधुदुर्ग तट पर राजकोट किले के पास युद्धकालीन योद्धा मुद्रा में छत्रपति शिवाजी महाराज की 60 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। तलवार सहित प्रतिमा की कुल ऊंचाई 83 फुट है। जबकि 10 फीट ऊंचे चबूतरे के कारण प्रतिमा की भूमि तल से कुल ऊंचाई 93 फीट हो गई है। प्रतिमा के निर्माण में कांस्य धातु का उपयोग किया गया है, जिसमें 88% तांबा, 4% जस्ता और 8% टिन है। प्रतिमा के लिए औसतन 6 से 8 मिली मीटर की मोटाई वाले कांस्य का उपयोग किया गया है।
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इस कार्य के लिए, DUPLEX स्टेनलेस स्टील सपोर्ट फ्रेमवर्क, स्टेनलेस स्टील SS 316 गुणवत्ता वाली छड़ जैसी जंगरोधी निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया है। मंच के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कंक्रीट और स्टेनलेस रॉड का उपयोग किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में आए फयान, निसर्ग, तोकते चक्रवाती तूफानों तीव्रता को को ध्यान में रखते हुए नई प्रतिमा का निर्माण किया गया है। प्रतिमा का निर्माण करनेवाले प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने दावा किया है कि प्रतिमा 100 वर्षों सुरक्षित रहेगी। अगले 10 वर्षों तक नियमित रखरखाव और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी भी ठेकेदार की है।