
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स:सोशल मीडिया )
Chandrapur Thermal Power Plant News: चंद्रपुर ताप बिजली केंद्र के पास बहुत जगह है। यहां बड़े पैमाने पर बांस लगा कर उसका प्रयोग बिजली बनाने तथा उसके अधीनस्थ प्रकल्पग्रस्त 51 गांवों के लिए करने का प्रस्ताव 2022 मे ही दिया गया था, परंतु कोयले का काजल आंखों पर लगे बिजली केंद्र प्रशासन ने उसे साफ नजरअंदाज कर दिया।
अब राज्य सरकार ने नीति बना कर 5 से 7 प्रतिशत बांबू के बायोमास (कोयला) का मिश्रण प्रयोग करना अनिवार्य कर दिया है। जिससे इस नयी नीति अनुसार चंद्रपुर ताप बिजली केंद्र में जल्द ही बांस का प्रयोग होने की उम्मीद की जा रही है। हालाकि बांबू क्षेत्र के जानकारों की माने तो राज्य में इसका प्रयोग हो चुका है।
यहां बता दे, राज्य के सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के सभी औष्णिक बिजली परियोजनाओं में प्रयोग होने वाले कोयले में 5 से 7 प्रश बांबू के बायोमास (कोयला) का मिश्रण करना अनिवार्य किया गया है। प्रदूषण नियंत्रण और हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
अपारंपारिक ईंधन संसाधनों पर अवलंबिता कम करना और बांबू आधारित हरित ऊर्जा को आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य विकल्प को प्रोत्साहन देने राज्य सरकार ने ऊर्जा परियोजनाओं में बांबू बायोमास का मिश्रण अनिवार्य किया है।
5 वर्ष के बजट अनुसार 2030 तक बांस उद्योजकता, प्रक्रिया और बाजार आदि बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देने कुल 1534 करोड रुपयों का खर्च राज्य सरकार ने प्रस्तावित किया है। जंगल कटाई, कम हुए वनक्षेत्र के कारण प्रभावित क्षेत्र और वनस्पति प्राकृतिक रुप से बढने वाले एरिया में बांबू रोपन को प्रोत्साहन देने की सरकार की योजना है।
चंद्रपुर ताप बिजली केंद्र के पास बेहद जगह है। यहां बड़े पैमाने पर बांस उगा कर उसका प्रयोग बायोमास व रोजगार निर्माण के साथ ही प्रदूषण कम करने हेतु करने का सुझाव 2022 में ही दिया गया था।
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चंद्रपुर बिजली केंद्र के अधीन करीब 51 प्रकल्पग्रस्त गांव आते हैं जहां रोजगार विकास के अलावा अन्य विकास कार्यों की जिम्मेदारी सीएसटीपीएस पर है।
इसमें बांस का प्रयोग आसानी से हो सकता था। इसलिए तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलिय मंत्री हरदीप सिंह को सितंबर 2022 में ही विस्तृत ज्ञापन देकर सुझाव दिया था।
हम 2018 से निरंतर बांस का प्रयोग विविध उद्योग, कंपनियां और सरकारी संस्थाओं में हो, इसलिए प्रयासरत थे। 2022 में सीएसटीपीएस को पत्र देकर बायोमास व रोजगार निर्माण समेत प्रदूषण कम करने बांबू रोपन का अनुरोध किया था।
ओबी की खुली जगहों पर डब्ल्यूसीएल व्दारा भी यह किया जाए, सभी उद्योग कंपनियों को बांबू रोपन उनके कथित पौधारोपण में शामिल करने का विचार रखा था। मनपा प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन को भी यह करना चाहिए।
चंद्रपुर का तापमान कम करने बांबू के प्रयोग पर हमने स्थानीय विधायक और एमपीसीबी को भी पत्र दिये थे। परंतु किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब सरकार ने नीति बनाई है। कम से कम उस पर अब काम हो।
प्रसिध्द बांबू समाजसेवी, चंद्रपुर -मीनाक्षी वालके






