
संजय राउत, उद्धव ठाकरे व आदित्य ठाकरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
Uddhav Thackeray Shiv Sena UBT Crisis: नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस बीच उद्धव ठाकरे की पार्टी पर बड़ा संकट आ गया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता पद को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब शिवसेना (यूबीटी) फूट की कगार पर पहुंच गई है।
कोंकण के एक सीनियर नेता इस पद के लिए इच्छुक थे लेकिन ‘मातोश्री’ द्वारा किसी दूसरे नाम को आगे बढ़ाने के बाद से ठाकरे गुट में एक और फूट की प्रबल संभावना है। नारायण राणे और एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद कोंकण के एक ताकतवर नेता भाजपा में शामिल होने की तैयारी में है।
महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले ही उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्री शंभूराज देसाई ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने विधायक बेटे आदित्य ठाकरे को विधानसभा में विपक्ष का नेता (एलओपी) बनवाने के प्रयास में हैं और उनकी पार्टी की ओर से ऐसा प्रस्ताव आया है।
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ‘मातोश्री’ की ताकत कम हो गई थी और कई भरोसेमंद साथियों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। ऐसे मुश्किल हालात में भी कोंकण के यह नेता ‘मातोश्री’ के प्रति वफादार रहे। वे सत्ताधारी पार्टी के हमले से बच गए। इसलिए, उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें विपक्ष के नेता का पद देकर उचित सम्मान मिलेगा। वे इस बात से नाराज हैं कि आदित्य ठाकरे का नाम अचानक इस पोस्ट के लिए आगे बढ़ाया गया है। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि यह नेता 10 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं।
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उद्धव ठाकरे की पार्टी में संभावित फूट के कारण भाजपा और शिवसेना के बीच भी तीखे मतभेद पैदा हो गए हैं। शिंदे गुट असल में इस बात पर जोर दे रहा है कि बीजेपी को ठाकरे के विधायकों को एंट्री नहीं देनी चाहिए। शिंदे गुट ने यह रुख अपनाया है कि अगर पार्टी में एंट्री जरूरी है, तो ये विधायक बीजेपी में नहीं बल्कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हों।
इस बड़े राजनीतिक फेरबदल पर आखिरी फैसला अब दिल्ली से होने की संभावना है। नागपुर विंटर सेशन के बीच इस साल भी विपक्ष के नेता पद के मुद्दे पर एक बड़े राजनीतिक भूकंप की संभावना है।






