सरकारी शोध के नाम पर साइबर ठगी (pic credit; social media)
Cyber fraud on Government Research: साइबर अपराधियों ने सरकारी शोध फंड के नाम पर पुणे की एक निजी यूनिवर्सिटी को ठगा। आरोपियों ने ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नॉलॉजी प्रोजेक्ट्स के बहाने विश्वविद्यालय को हजारों करोड़ के फंड का झांसा दिया और इसके बदले 2.46 करोड़ रुपए हड़प लिए।
पुलिस जांच के मुताबिक, अपराधियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और एक प्रोफेसर का नाम इस्तेमाल करके यूनिवर्सिटी को विश्वास दिलाया कि यह परियोजना सरकार द्वारा अनुमोदित है। विश्वविद्यालय ने इन दस्तावेजों की जांच किए बिना पैसे ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब वास्तविक फंडिंग एजेंसी से संपर्क किया गया तो विश्वविद्यालय को एहसास हुआ कि यह पूरी योजना धोखाधड़ी पर आधारित थी।
इस ठगी की जानकारी मिलते ही पुणे पुलिस क्राइम ब्रांच की आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि अपराधियों ने इसी तरह के फ्रॉड से पहले भी कई संस्थाओं को निशाना बनाया था। अधिकारियों का कहना है कि इस गिरोह की शिकार संख्या और धनराशि बढ़ने की पूरी संभावना है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना की रिपोर्ट तुरंत पुलिस में दर्ज कराई और अपने आंतरिक वित्त विभाग के अधिकारियों को फर्जी दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि यह घटना शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है और वे भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए कड़े सुरक्षा और सत्यापन नियम लागू करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर फ्रॉड में तेजी आई है और शैक्षणिक संस्थाओं को ऐसे मामलों से सतर्क रहना चाहिए। सरकारी फंडिंग के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए तकनीकी जांच और ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करने की जरूरत है।
इस घटना ने पुणे और पूरे महाराष्ट्र के शैक्षणिक संस्थानों में चिंता बढ़ा दी है। पुलिस ने अपराधियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने और भविष्य में ऐसे धोखाधड़ी गिरोहों को रोकने के लिए विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया है।