भंडारा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की युवा शाखा के सदस्य (फोटो नवभारत)
Bhandara Tractor Subsidy Scam News: भंडारा, गोंदिया और नागपुर जिले के आदिवासी किसान सब्सिडी पर ट्रैक्टर दिलाने के नाम पर एक बड़े घोटाले का शिकार हो गए हैं। लेंडेझरी स्थित बिरसा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी ने सैकड़ों किसानों से करोड़ों रुपये की ठगी की है। इस मामले में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की युवा शाखा ने जिला कलेक्टर से मिलकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और किसानों का पैसा वापस दिलाने की मांग की है।
बिरसा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (जिसका कार्यालय चिचोली, तुमसर में है) ने आदिवासी किसानों को यह झांसा दिया कि वे उन्हें सरकारी सब्सिडी पर ट्रैक्टर उपलब्ध कराएंगे। किसानों ने इस वादे पर भरोसा करके कंपनी में 1.30 लाख से 2.30 लाख रुपये तक की बड़ी रकम जमा की। कंपनी ने किसानों को दो महीने के भीतर ट्रैक्टर देने का आश्वासन दिया था और उन्हें इसकी रसीदें भी दी थीं।
हालांकि, कई महीने बीत जाने के बाद भी एक भी किसान को ट्रैक्टर नहीं मिला। जब किसानों ने कंपनी के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इससे यह साफ हो गया कि वे एक बड़े धोखे का शिकार हो चुके हैं।
पीड़ित किसानों ने अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की युवा शाखा के साथ मिलकर जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में उन्होंने बिरसा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ज्ञापन में कंपनी के जिन अधिकारियों का नाम लिया गया है उनमें सीईओ मारोती नैताम, अध्यक्ष रोशन सवतवान, कैशियर अशोक डायग्ने, भाऊराव भलावी, दुर्योधन उके, कमला ताराचंद शिंगाडे और राकेश शिंगाड़े शामिल हैं।
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किसानों का आरोप है कि कंपनी के अधिकारियों ने ठगे गए पैसे से करोड़ों की बेनामी संपत्ति खड़ी कर ली है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की तत्काल जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि दोषियों की बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जाए और किसानों का डूबा हुआ पैसा उन्हें वापस दिलाया जाए।
पीड़ित किसानों ने इस मामले को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है। उन्होंने विधायक नरेंद्र भोंडेकर और आदिवासी विकास मंत्री अशोक उइके को भी ज्ञापन सौंपा है, ताकि इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया जा सके।
जिला कलेक्टर कार्यालय ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लिया है और आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और क्या किसानों को न्याय मिल पाता है। इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल किसानों का आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि सरकारी योजनाओं पर से उनका विश्वास भी उठ जाता है।