ग्रामीणों की बहादुरी से बची जान (सौजन्यः सोशल मीडिया)
पुणे: अक्सर कहा जाता है कि “किस्मत हो तो मौत के मुंह से भी लौट कर आ सकते है। मंगलवार को कडूस गांव के रघुनाथ काले (उम्र 50 वर्ष) के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। केकड़े पकड़ने की सनक, उस पर शराब का नशा और फिसलन भरे पुल की सतह… एक छोटी सी चूक उनकी जान पर बन आई, लेकिन गांववालों की सतर्कता, साहस और त्वरित प्रतिक्रिया ने उनकी जान बचा ली।
मंगलवार को रघुनाथ काले, गांव के पास बहने वाली कुमंडला नदी के पुराने पुल के पास केकड़े पकड़ने के लिए पहुंचे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उस समय वे नशे की हालत में थे। बारिश के कारण पुल फिसलनभरा था और अचानक उनका संतुलन बिगड़ गया। वह सीधे नदी में गिर पड़े और तेज जलप्रवाह उन्हें बहाकर पुल की नाली तक ले गया, जहां उनका शरीर आधा अंदर और आधा बाहर फंस गया।
जहां रघुनाथ फंसे थे, वहां पहले से कीचड़, कंकड़-पत्थर और मलबा जमा था, जिसके कारण पानी का बहाव बाधित हो गया था। नाली के भीतर फंसे हुए व्यक्ति को निकालना आसान नहीं था। आसपास मौजूद लोगों ने स्थिति की गंभीरता को तुरंत समझा और रस्सियों की मदद से उन्हें पकड़कर डूबने से रोके रखा।
गांववालों ने प्रशासन को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर जेसीबी मशीन मंगवाई गई। मशीन की मदद से नाली में फंसा मलबा हटाया गया और पानी का बहाव फिर से चालू किया गया। तब जाकर रघुनाथ काले को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका।
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गनीमत यह रही कि उनका आधा शरीर बाहर की ओर था, जिससे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन अगर थोड़ी सी भी देर होती, तो यह घटना जानलेवा साबित हो सकती थी।
घटना की खबर जंगल में आग की तरह फैली और पुल के दोनों ओर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में सक्रिय भागीदारी दिखाई, जो वाकई सराहनीय थी।
यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि कुमंडला नदी पर बने पुराने पुल की जर्जर स्थिति की भी पोल खोलता है। यह पुल बेहद पुराना, नीचा और संकरा है। बारिश में अक्सर इस पर पानी चढ़ जाता है। नालियों में मलबा भर जाने से जलनिकासी अवरुद्ध हो जाती है, जिससे छोटे पुल बाढ़ के समय खतरनाक साबित होते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से पुल के पुनर्निर्माण और ऊँचाई बढ़ाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके।