नासिक में वाहनमुक्त दिवस (pic credit; social media)
Vehicle Free day in Nashik: तेजी से बढ़ते शहरीकरण और वाहनों की बेतहाशा बढ़ती संख्या ने नासिक की हवा को जहरीला बना दिया है। सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है और आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है। इसी चिंता को देखते हुए नाशिक जिला प्रशासन ने एक अनोखी पहल की है। जिलाधिकारी जलत शर्मा ने सभी कर्मचारियों और नागरिकों से अपील की है कि हर महीने के पहले सोमवार को अपने निजी वाहन का इस्तेमाल न करें और सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का सहारा लें। इस दिन को ‘वाहनमुक्त दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
नासिक में इस साल 86,118 नए वाहनों का पंजीकरण हुआ है, जो वायु प्रदूषण की बड़ी वजह बन रहे हैं। कार और दोपहिया की बढ़ती संख्या से निकलने वाला धुआं ही नहीं, बल्कि उनके टायरों से उठने वाली धूल भी लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। नतीजतन शहरवासियों में श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस पहल का मकसद केवल एक दिन के लिए निजी वाहन बंद करना नहीं है, बल्कि लोगों में जागरूकता लाना है ताकि वे सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाएं। इस कदम को राजस्व विभाग समेत जिला प्रशासन के अन्य दफ्तरों का भी जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
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वाहनमुक्त दिवस पर अधिकारी और कर्मचारी बस, ऑटो या साइकिल से दफ्तर पहुंचते हैं। इस पहल से न सिर्फ प्रदूषण पर नियंत्रण होगा, बल्कि ईंधन की खपत भी घटेगी और लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा।
प्रशांत गायकवाड़, उप्पादेशिक अधिकारी, MPCB, नाशिक ने कहा, “वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए हर नागरिक को निजी वाहन का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके अलावा वाहनों की नियमित देखभाल और बेहतर ईंधन का प्रयोग बेहद जरूरी है।”
नासिक का यह प्रयोग अब पूरे महाराष्ट्र के लिए मिसाल बन सकता है। सवाल यही है कि क्या यह पहल सिर्फ एक दिन तक सीमित रहेगी या फिर लोगों की आदत बदलेगी और शहर की हवा सच में साफ हो पाएगी।