सुनील केदार-चन्द्रशेखर बावनकुले-आशीष जयसवाल-राजेन्द्र मुलक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Politics: राज्य के विधानसभा चुनाव में आए अप्रत्याशित परिणाम के बाद से ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वोट चोरी के आरोप लगाए। शुरुआत में भाजपा नेताओं ने भी उनके आरोपों पर कटाक्ष किये लेकिन अब वही मुद्दा बिहार चुनाव में छा गया है। दूसरे विरोधी दल भी कांग्रेस के साथ खड़े होकर हमलावर हो गए हैं।
अब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी वोट चोरी के मुद्दे पर ही आक्रामकता दिखा रही है। दो दिन पूर्व राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के विधानसभा क्षेत्र कामठी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल की उपस्थिति में शक्ति प्रदर्शन कर यह संकेत दिया गया कि जिला परिषद, नगर परिषद, पंचायत समितियों के चुनाव में उसका यही मुद्दा भाजपा को पटकनी देने का मुख्य हथियार होगा।
भाजपा नेता वोट चोरी के आरोपों को कांग्रेस का ‘संविधान बदलने’ जैसा नैरेटिव बता रहे। आरोप लगा रहे हैं कि कोई मुद्दा नहीं होने के चलते अब ‘वोट चोरी’ का नैरेटिव फैलाया जा रहा है। इससे होने वाले नुकसान की संभावनाओं को देखते हुए बीजेपी अलर्ट मोड में आ गई है। वह इसकी काट की रणनीति तैयार में जुटी है।
जिला परिषद के पूर्व सदस्य, पदाधिकारियों के साथ ही सारे कार्यकर्ताओं को गांव-गांव में घर-घर तक वोट चोरी के संदर्भ में जागरूकता करने का मिशन दिया गया है। खासकर सोशल मीडिया में कांग्रेस ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ मीम्स वाले वीडियो बड़े पैमाने पर प्रसारित कर मतदाताओं के दिमाग में घुसाने का प्रयास कांग्रेस कर रही है।
कामठी में हुई सभा में जिले के दिग्गज नेता सुनील केदार काफी आक्रामक नजर आए। वे किसी भी कीमत पर जिला परिषद सहित स्थानीय निकायों में जोरदार वापसी चाहते हैं। उन्होंने अपनी टीम को काम पर लगा दिया है। वहीं पूर्व जिलाध्यक्ष राजेन्द्र मूलक, उमरेड विधायक संजय मेश्राम, जिलाध्यक्ष अश्विन बैस, सुरेश भोयर सहित पूरी टीम काम पर जुट गई है।
वोट चोरी के आरोपों को खारिज करने वाली बीजेपी जिले के सर्वांगीण विकास का बखान तो करने ही वाली है लेकिन वरिष्ठ नेता भी जानते हैं कि विकास के मुद्दे पर चुनाव जीतना टेढ़ी खीर है। जातीय समीकरण छोटे-छोटे चुनावों में भी बिठाए जाते हैं। चुनाव के ठीक पूर्व मराठा समाज को आरक्षण देने की मांगें मान ली गईं। वहीं संशयित ओबीसी समाज को किसी तरह का नुकसान नहीं होने के प्रति आश्वस्त किया गया।
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भाजपा इसे चुनावों में निश्चित तौर पर भुनाने का काम करने वाली है। इतना ही नहीं, केन्द्र सरकार ने जीएसटी कम कर आम नागरिकों को जो राहत पहुंचायी है उसका बखान भी वह चुनावों के दौरान करने वाली है। खुद राजस्व मंत्री व जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के साथ सीएम देवेंद्र फडणवीस चुनावों की कमान संभालेंगे। महायुति में शामिल शिंदे सेना से राज्य मंत्री आशीष जायसवाल की भी अहम भूमिका होगी।
बीजेपी को किसी भी सूरत में जिला परिषद में वापस लौटना है। इसलिए वह जीतने में सक्षम उम्मीदवारों पर ही दांव लगाने वाली है। दूसरी पार्टियों से आयातित कांग्रेस व राकां एसपी के पूर्व पदाधिकारियों को भी मैदान में उतारा जाएगा। विरोधी पार्टियों के अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को तोड़ने का काम भी तेज किया जा सकता है।