जिला परिषद (फाइल फोटो)
Nagpur News: महाराष्ट्र में आगामी जिला परिषद चुनावों को लेकर सीट आरक्षण रोटेशन के नये नियमों पर गहरा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति (सीटों के आरक्षण का तरीका और रोटेशन) नियम 2025 के नियम 12 को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ये नये नियम असंवैधानिक, मनमाने और अन्यायपूर्ण हैं क्योंकि ये पिछले आरक्षण रोटेशन को अधूरा छोड़ते हुए 2025 के चुनाव को ‘पहला चुनाव’ मान रहे हैं। याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की आशा जताई जा रही है। याचिकाकर्ताओं की अधि। महेश धात्रक पैरवी करेंगे।
विशेषत: 2 याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दायर की गई है जिनमें से एक अनुसूचित जाति (SC) और दूसरा अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से है। अनुसूचित जाति के याचिकाकर्ता काटोल तहसील के कचारी (सावंगा) गांव से हैं जो मेटपांजरा और नवनिर्मित रिधोरा के चुनाव क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
याचिकाकर्ता का मानना है कि महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति (सीटों के आरक्षण का तरीका और रोटेशन) नियम 1996 के लागू होने के बाद से उनका वार्ड कभी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुआ। यदि रोटेशन पूरा होता तो 2025 के जिला परिषद चुनाव में यह वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता जिससे उन्हें चुनाव लड़ने और अपने समुदाय को प्रतिनिधित्व दिलाने का मौका मिलता।
अनुसूचित जनजाति का याचिकाकर्ता जिला परिषद के सोनेगांव (निपानी) चुनाव क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव से हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि वर्ष 2002 से उनका वार्ड कभी भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हुआ। रोटेशन जारी रहने पर उनके वार्ड को 2025 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया जाता जिससे उन्हें अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलता।
याचिका के अनुसार राज्य सरकार ने 20 अगस्त 2025 को एक अधिसूचना जारी कर नये नियम 2025 प्रकाशित किए हैं जो नियम 1996 का स्थान लेते हैं। इन नये नियमों में जानबूझकर नियम 12 शामिल किया गया है जो यह प्रावधान करता है कि इन नियमों के प्रारंभ होने के बाद आयोजित होने वाले आम चुनाव को सीटों के रोटेशन के उद्देश्य से ‘पहला चुनाव’ माना जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह नया नियम पिछले रोटेशन को बाधित करने और बाधित करने के इरादे से पेश किया गया है जो 1996/2002 से जारी था और पूरा होने के कगार पर था। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 243-K और 243-E13 तथा अनुच्छेद 243-D9 के प्रावधानों के सीधे विपरीत है।
यह भी पढ़ें – नागपुर युनिवर्सिटी पहली बार टॉप ‘100’ में शामिल, NIRF रैंकिंग में VNIT और IIM आगे
अनुच्छेद 243-D के अनुसार, आरक्षण रोटेशन के माध्यम से दिया जाना चाहिए, ताकि आरक्षित सीटों की सभी श्रेणियों को प्रतिनिधित्व मिल सके। नये नियम के लागू होने से अधूरे रोटेशन को छोड़ दिया जाएगा और 2025 के चुनाव को पहले चुनाव के रूप में मानकर आरक्षण प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि याचिकाकर्ताओं जैसे व्यक्तियों को अपने संबंधित चुनाव क्षेत्रों को आरक्षित श्रेणियों के लिए आरक्षित कराने हेतु फिर से 23 साल या उससे भी अधिक समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।