संशोधित फसल बीमा योजना से मोहभंग (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: सरकार ने 1 रुपए वाली फसल बीमा योजना को बंद करते हुए इस वर्ष से संशोधित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की है। हालांकि, योजना को 2 बार विस्तार देने के बावजूद किसानों की ओर से बहुत कम प्रतिसाद देखने को मिल रहा है। जिले में केवल 28,860 किसानों ने ही फसल बीमा कराया है। इसलिए, संशोधित फसल बीमा योजना से किसानों के मुंह मोड़ने की तस्वीर सामने आ रही है। राज्य सरकार, केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य में व्यापक फसल बीमा योजना में बदलाव करके 2025-26 खरीफ सीजन के लिए संशोधित फसल बीमा योजना लागू कर रही है। जिले में खरीफ फसल बीमा योजना 1 जुलाई से शुरू हुई थी।
यह अवधि 31 जुलाई तक थी। 28 जुलाई तक केवल 18,133 किसानों ने ही फसल बीमा कराया था। इसमें 1,837 ऋणी और 16,296 गैर-ऋणी शामिल थे। किसानों के कम प्रतिसाद के कारण सरकार ने योजना की अवधि 14 अगस्त तक बढ़ा दी थी। लेकिन, उसके बाद भी किसानों की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला। इसलिए गैर-ऋणी और ऋणी किसानों के लिए समय सीमा 30 अगस्त तक बढ़ा दी गई। 28 अगस्त तक केवल 26,860 किसानों ने ही फसल बीमा कराया था। पिछले साल की तुलना में बीमा कराने की दर में काफी कमी आई है। पिछले साल खरीफ सीजन में जिले के 92,837 किसानों ने फसल बीमा कराया था।
राज्य सरकार द्वारा पिछले 2 वर्षों से शुरू की गई ‘1 रु। फसल बीमा’ योजना को किसानों ने भारी समर्थन दिया था। इस योजना के तहत, किसान केवल 1 रु। देकर फसल बीमा करवा सकते थे और शेष राशि सरकार वहन करती थी।इसी के चलते किसान बड़ी संख्या में आगे आ रहे थे। लेकिन, इस वर्ष इस योजना के अभाव और आवेदन पत्र भरने की लागत लगभग 1,000 रु। से 1,200 रु। तक होने के कारण, किसानों ने बीमा करवाने में रुचि नहीं दिखाई। यह भारी आर्थिक बोझ किसानों के लिए वहन करने योग्य नहीं था, जिसके कारण उन्होंने इस योजना से मुंह मोड़ लिया। इससे उनके आर्थिक नुकसान की संभावना बढ़ गई है।
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बता दें कि संशोधित फसल बीमा योजना का अर्थ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) है, जिसे राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) की जगह लाया गया है। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों से होने वाली फसल क्षति के लिए किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसमें किसानों के लिए किफायती प्रीमियम दरें (खरीफ के लिए 2%, रबी के लिए 1।5%, और वाणिज्यिक फसलों के लिए 5%), उन्नत प्रौद्योगिकियों (जैसे ड्रोन और उपग्रह इमेजरी) का उपयोग, और दावा निपटान के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र शामिल है।