शिक्षक भर्ती घोटाले में दिलीप धोटे की गिरफ्तारी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: राज्य में शिक्षक भर्ती और शालार्थ आईडी घोटाले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब शिक्षण संस्था संचालक भी पुलिस के रडार पर आ गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में गड़चिरोली के कुछ संस्था संचालकों की भी गिरफ्तारी हो सकती है। अब तक पुलिस की विशेष टीम ने भंडारा जिले से संस्था संचालक चरण चेतुले और दिलीप धोटे को गिरफ्तार किया है।
शालार्थ आईडी घोटाले में हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं। इस घोटाले का दायरा राज्यव्यापी है और पूर्वी विदर्भ के भंडारा, गोंदिया, नागपुर और गड़चिरोली के कुछ संस्थान मालिकों की भूमिका भी संदिग्ध है। इसलिए पुलिस ने कार्रवाई का फोकस संस्थान मालिकों पर केंद्रित कर दिया है।
शनिवार को विशेष जांच दल ने शालार्थ आईडी घोटाले में विट्ठल रुक्मिणी शिक्षण संस्था के संचालक दिलीप धोटे को गिरफ्तार किया। धोटे पर 15 शिक्षकों के फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर उन्हें नौकरी देने का आरोप है। पुलिस को यह भी संदेह है कि उसने प्रत्येक शिक्षक से 15 लाख रुपए लिए थे। इससे पहले पुलिस ने चरण चेतुले (63, भंडारा) को गिरफ्तार किया था। अब दिलीप धोटे को गिरफ्तार किया गया है। धोटे पर 15 शिक्षकों की नियुक्ति का आरोप है।
इसके साथ ही उन्होंने इन शिक्षकों को राजाबक्शा के नवयुवक प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त किया। हालांकि इन शिक्षकों की नियुक्ति विट्ठल रुक्मिणी संस्थान में की गई थी, लेकिन उन्हें एक अलग स्कूल में नौकरी दी गई थी। एसआईटी प्रमुख सुनीता मेश्राम ने सभी शिक्षकों को बुलाकर उनके बयान दर्ज किए।
इसमें शिक्षकों ने धोटे को 15 लाख रुपये देने की बात कबूल की। इसके साथ ही यह आरोप लगाया गया है कि धोटे उन्हें मिलने वाले वेतन में से कुछ पैसे रख रहा है। शैक्षणिक हलकों में चर्चा है कि गड़चिरोली में भी इसी तरह की घटना हुई है। इसलिए सूत्रों ने जानकारी दी है कि कुछ बड़े संस्थान मालिकों की जांच की जाएगी।
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कुछ संस्थान मालिकों ने अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षक भर्ती पर लगी रोक का तोड़ निकाल लिया है। इसी आधार पर उन्होंने बड़ी संख्या में भर्ती कर ली। पता यह भी चल रहा है कि इसमें करोड़ों का वित्तीय लेन-देन हुआ। कुछ स्कूलों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने में नियमों को दरकिनार किया गया।
चर्चा है कि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों का भी हाथ है। शालार्थ आईडी घोटाला उजागर होने के बाद इन सभी संस्थान मालिकों की नींद उड़ गई है। कुछ दिन पहले इनमें से दो संस्थानों ने शिक्षकों और संस्थान के संचालकों को नए सिरे से भर्ती दस्तावेज तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसलिए संभावना है कि इन संस्थानों की भी जांच होगी।