गड़चिरोली के 120 बच्चों ने भरी सपनों की उडान। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले के दूर-दराज, आदिवासी और नक्सल प्रभावित गांवों से आए 120 बच्चों के लिए शनिवार का दिन सपनों को हकीकत में बदलने वाला रहा। समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित सिरोंचा, वांगेपल्ली (अहेरी) और नवगांव की आश्रमशालाओं (आवासीय विद्यालयों) से आए इन विद्यार्थियों ने पहली बार हवाई यात्रा करते हुए बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दौरा करने के लिए उड़ान भरी।
इनमें से अधिकांश बच्चों ने न तो कभी रेलगाड़ी देखी थी और न ही अपने जिले के बाहर कदम रखा था। पहली बार विमान में बैठकर अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया को करीब से देखने का यह अनुभव उनके जीवन का ऐतिहासिक मोड़ बन गया।
नागपुर स्थित भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं गड़चिरोली के पालक मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विद्यार्थियों से मुलाकात की। उन्होंने आत्मीय संवाद करते हुए पूछा “कहाँ जा रहे हो? क्या देखने जा रहे हो?” फडणवीस ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा, “मन लगाकर पढ़ाई करो, आगे बढ़ो, और गड़चिरोली का नाम रोशन करो।”
इस अवसर पर आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके, गड़चिरोली के जिलाधिकारी अविश्यांत पांडा, और सामाजिक न्याय विभाग के क्षेत्रीय उपायुक्त डॉ. सिद्धार्थ गायकवाड़ भी मौजूद रहे। सभी ने बच्चों को शुभकामनाएं दीं और इस पहल को ‘सपनों की उड़ान’ बताया। इस अभिनव योजना की रूपरेखा सहायक आयुक्त डॉ. सचिन मडावी द्वारा तैयार की गई थी। जिलाधिकारी पांडा ने इस योजना को तत्परता से स्वीकृति दी, और उपमुख्यमंत्री फडणवीस व सह-पालक मंत्री आशिष जैस्वाल ने इसके लिए आवश्यक निधि भी मंजूर की।
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गड़चिरोली से इन बच्चों को विशेष बस के माध्यम से नागपुर एयरपोर्ट लाया गया, जहां उन्हें मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुहास गाडे, निवासी उपजिलाधिकारी सुनील सूर्यवंशी, और प्रकल्प अधिकारी चेतन हीवंज ने हरी झंडी दिखाकर इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए रवाना किया। जब बच्चों ने विमान में सवार होने की तैयारी की, तब उनके साथ आए अभिभावकों की आंखों में खुशी और गर्व के आंसू छलक पड़े। गांव की मिट्टी से उठकर देश की अंतरिक्ष यात्रा का साक्षात अनुभव यह क्षण हर किसी को भावुक कर गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत सरकार की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जो उपग्रह, रॉकेट और स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही है। आज इसरो भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का प्रतीक बन चुका है। गड़चिरोली के इन 120 बच्चों ने न केवल हवाई यात्रा की शुरुआत की, बल्कि एक नई सोच, नई दिशा और नए सपनों की ओर कदम बढ़ाया। यह यात्रा उनके जीवन की नई उड़ान है. जो उन्हें आत्मविश्वास, प्रेरणा और विज्ञान की ऊँचाइयों तक पहुंचाएगी।