सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रेदश सरकार से मांगा जबाव
Supreme Court vs Madhya Pradesh Government: भारत में न्यायपालिका की प्रक्रिया पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। एक नए चौंकाने वाले मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है, जिसे 7 साल की सजा मिलने के बाद भी 15 साल तक जेल में रखा गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस “गंभीर चूक” पर आश्चर्य व्यक्त किया है। यह घटना दर्शाती है कि न्याय मिलने के बाद भी, कई बार प्रक्रियागत खामियों के कारण नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
यह मामला तब सामने आया जब याचिकाकर्ता सोहन सिंह उर्फ बबलू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उसे मध्य प्रदेश के सागर जिले की एक अदालत ने रेप सहित कई आरोपों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, जबलपुर हाई कोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 7 साल कर दिया था। लेकिन जेल विभाग ने इस फैसले को अनदेखा करते हुए उसे 15 साल बाद रिहा किया, जिससे उसने 8 साल की अतिरिक्त सजा काट ली। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर लापरवाही पर राज्य सरकार से 8 सितंबर 2025 तक जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता सोहन सिंह उर्फ बबलू को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में अपील दायर की। 10 अक्टूबर 2007 को, हाईकोर्ट ने उसकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया। हाइकोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 के तहत उसकी सजा को आजीवन कारावास से घटाकर सात साल के सश्रम कारावास में बदल दिया।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सजा कम करने का कारण भी बताया। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता एक विवाहित महिला थी और एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई थी। इसके अलावा, बलात्कार के अपराध के संबंध में चिकित्सा साक्ष्य की पुष्टि नहीं हुई थी। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने सजा को कम करना “उचित और न्यायसंगत” माना था। हालांकि, जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण युवक को 15 साल बाद ही रिहा किया जा सका।
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सोहन सिंह के इस मामले को “काफी चौंकाने वाला” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम जानना चाहेंगे कि इतनी गंभीर चूक कैसे हुई और याचिकाकर्ता सात साल की पूरी सजा काटने के बाद भी 8 साल से अधिक समय तक जेल में क्यों रहा।” सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को दो हफ्तों के भीतर इस लंबी कैद के लिए स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 को होगी। इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या जवाब देती है।