
विजया एकादशी 2024 (सोशल मीडिया)
सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस साल 2024 फाल्गुन महीने की एकादशी, यानी ‘विजया एकादशी’ (Vijaya Ekadashi 2024) 6 मार्च यानि आज बुधवार को है।
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से सुख और सौभाग्य में मन मुताबिक वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है। आइए जानें मार्च यानी फाल्गुन महीने की एकादशी व्रत डेट शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी तिथि की शुरुआत 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 30 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 7 मार्च को सुबह 0l4 बजकर 13 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में विजया एकादशी व्रत 6 फरवरी को है।
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।
चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु की आरती करें। और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके पश्चात ईश्वर से जीवन में सुख और शांति की कामना करें।
अंत में भगवान को फल, मिठाई और खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
विजया एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को विजय मिलती है। लंका विजय करने की कामना से बक दाल्भ्य मुनि के आज्ञानुसार समुद्र के तट पर भगवान राम ने इसी एकादशी का व्रत किया था। जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान रामचंद्र की विजय हुई।






