राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत व AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के मुसलमानों को लेकर हालिया बयानों ने राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे पाखंड से भरा करार देते हुए कहा कि भारत अगर 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है, तो इतने बड़े समुदाय को हाशिए पर रखकर यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा कि मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में देखने की राजनीति अब बंद होनी चाहिए और उन्हें नेतृत्व व समान अवसर देने की दिशा में काम होना चाहिए।
ओवैसी ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मोहन भागवत के उन बयानों को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कही थी। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसे सुकून भरे बयान सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं जबकि जमीनी सच्चाई इससे अलग है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब समाज के अन्य तबकों को राजनीतिक नेतृत्व मिलता है, तो मुसलमानों को हमेशा पीछे क्यों रखा जाता है। ओवैसी ने कहा कि ऊंची जातियों के लोग नेता होते हैं और मुसलमानों को सिर्फ वोटर या भिखारी समझा जाता है।
बीजेपी की जीत का कारण विपक्ष की विफलता
ओवैसी ने 2024 के चुनाव नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी की सफलता दरअसल विपक्ष की नाकामी का नतीजा है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष मजबूत रणनीति के साथ सामने आता, तो भाजपा इतनी सीटें नहीं जीत पाती। उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ सीटों पर लड़ने से उन्हें बीजेपी की बी-टीम कहना बेबुनियाद है।
वोट बैंक नहीं, बराबरी चाहिए
AIMIM सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्षी पार्टियां मुस्लिमों को सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में देखती हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनना है तो मुसलमानों को शिक्षा, नौकरी और नेतृत्व के अवसर देने होंगे। केवल चुनाव के समय उनका इस्तेमाल कर, बाद में उन्हें भुला देना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। बता दें कि औवेसी ने कहा है कि मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की राजनीति तक ही सीमित न रखा जाए।