
हाइपोथायरायडिज्म से छुटकारा दिलाएंगे ये आयुर्वेदिक उपाय (सौ. सोशल मीडिया)
Hypothyroidism: हमारे शरीर में सभी अंगों का सुचारू रूप से चलना जरूरी होता है। हाइपोथायरायडिज्म इसमें ही एक बड़ी समस्या है जो आम तौर में कई लोगों में देखने के लिए मिलती है। इस समस्या के इलाज के लिए निदान तो मौजूद है लेकिन आयुर्वेदिक उपायों के जरिए इस समस्या से बाहर निकलना जरूरी होता है। चलिए जान लेते है आखिर क्या है हाइपोथायरायडिज्म और कौन से आयुर्वेदिक उपाय सेहत के लिए होते है फायदेमंद।
यह हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति वह होती है जिसमें हमारे शरीर की थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बना पाती है। इसका असरक यह होता है कि, मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इस स्थिति के बिगड़ने पर कई लक्षण नजर आते है। इसका इलाज आमतौर पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से किया जाता है, जो डॉक्टर के पर्चे पर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन देता है। वहीं पर एक अन्य निदान में रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जाता है, जो थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (TSH) और अन्य हार्मोन के स्तर को मापता है।
अश्वगंधा
इस समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपायों से एक इस औषधि का सेवन कर सकते है। यह एक असरदार जड़ है जो थायरॉयड हार्मोन को संतुलित करती है और तनाव व कॉर्टिसोल को कम करती है। इसका सेवन करने के लिए रोजाना आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गुनगुने दूध के साथ पीएं। इससे ग्रंथि मजबूत होती है। त्रिफला चूर्ण शरीर से टॉक्सिन निकालकर पाचन अग्नि सुधारता है और लिवर को डिटॉक्स करके हार्मोन निर्माण में मदद करता है। इसे सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेना फायदेमंद है।
कंचनार गुग्गुल-
आयुर्वेद की यह औषधि खास तौर पर थायरॉयड की समस्या के लिए असरदारा है। यह औषधि थायरॉयड की सूजन और सुस्ती को कम करता है और कफ-मेद दोष घटाता है। वहीं पर इस औषधि में अदरक होता है जिसमें पाचन उत्तेजक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो थायरॉयड में रक्त प्रवाह बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को एक्टिव रखते हैं। घर में मौजूद लहसुन थायरॉयड एंजाइम्स को सक्रिय करता है और शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया को तेज करता है। सुबह खाली पेट 2-3 कली लहसुन गुनगुने पानी के साथ खाने से लाभ होता है।
मेथीदाना –
आप इन औषधियों में मेथीदाना का सेवन कर सकते है।नींबू पानी शरीर को डिटॉक्स रखता है और वात-कफ दोष संतुलित करता है। नारियल तेल में मौजूद मीडियम चेन फैटी एसिड्स थायरॉयड को स्टिम्युलेट करते हैं और ऊर्जा बढ़ाते हैं। तुलसी और दालचीनी मिलकर कॉर्टिसोल कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म तेज रखते हैं।
हार्मोन और ब्लड शुगर बैलेंस करता है, नींबू पानी शरीर को डिटॉक्स रखता है और वात-कफ दोष संतुलित करता है। नारियल तेल में मौजूद मीडियम चेन फैटी एसिड्स थायरॉयड को स्टिम्युलेट करते हैं और ऊर्जा बढ़ाते हैं। तुलसी और दालचीनी मिलकर कॉर्टिसोल कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म तेज रखते हैं।
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इसके अलावा, योग और प्राणायाम बेहद जरूरी हैं। सूर्य नमस्कार गले में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, जबकि भ्रामरी, उज्जायी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम ग्रंथि को सक्रिय करते हैं। नियमित अभ्यास से थायरॉयड संतुलित रहता है, शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत रहता है।
इन उपायों को अपनाकर हाइपोथायरायडिज्म से जुड़े लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार देखा जा सकता है, लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक औषधि या उपचार को अपनाने से पहले योग्य वैद्य की सलाह लेना जरूरी है।
आईएएनएस के अनुसार






