
वेब सीरीज़ रिव्यू: माधुरी दीक्षित की 'मिसेज देशपांडे' सस्पेंस में तो मजबूत, लेकिन बेदम कहानी और अतार्किक मोड़ ने किया निराश
Mrs Deshpande Series Review: दशकों तक अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली माधुरी दीक्षित ‘मिसेज देशपांडे’ (Mrs Deshpande) वेब सीरीज़ के ज़रिए ओटीटी पर एक बार फिर लौटी हैं। इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में वह एक सीरियल किलर की भूमिका में हैं, जहाँ निर्देशक नागेश कुकुनूर ने उनकी दिलकश मुस्कान को मारक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। हालांकि, सीरीज़ की कहानी कमजोर और परफॉरमेंस के स्तर पर शो बेदम साबित होता है।
यह फ्रेंच शो ‘ला मांटे’ का हिंदी एडाप्टेशन है, जिसे नागेश कुकुनूर और रोहित जी. बनावलीकर ने लिखा है।
कहानी मुंबई में एक उभरते बॉलीवुड कलाकार की हत्या से शुरू होती है। हत्या का पैटर्न मुंबई पुलिस कमिश्नर अरुण खत्री (प्रियांशु चटर्जी) को 25 साल पहले पुणे में हुई हत्याओं की याद दिलाता है, जिसे जीनत (माधुरी दीक्षित) ने अंजाम दिया था और वह हैदराबाद जेल में सजा काट रही है।
जीनत का प्रवेश: अरुण खत्री उस कॉपीकैट किलर को पकड़ने के लिए जीनत को जेल से निकाल लाते हैं। एसीपी तेजस फड़के (सिद्धार्थ चंद्रेकर) को यह मामला सौंपा जाता है।
पहचान का रहस्य: जांच के दौरान पता चलता है कि जीनत का असली नाम सीमा देशपांडे है और उसने आठ हत्याओं का गुनाह कबूलने के लिए अपनी पहचान बदलने की शर्त रखी थी।
ट्विस्ट: सीरीज़ में सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आता है जब यह रहस्य खुलता है कि सीमा देशपांडे ही तेजस फड़के की असली मां है। इसके बाद कहानी कॉपीकैट किलर को पकड़ने की दिशा में आगे बढ़ती है।
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नागेश कुकुनूर, जिन्होंने इस साल ‘हंट: द राजीव गांधी असैसिनेशन केस’ के लिए सराहना बटोरी थी, यहाँ पात्रों को दिलचस्प नहीं बना पाए हैं और कहानी की पकड़ कमज़ोर लगी है।
अतार्किक पहलू: अरुण खत्री का मामले को सुलझाने के लिए जीनत को शामिल करने का विचार अजीबोगरीब लगता है। इसके अलावा, रेस्टोरेंट चलाने वाली मिसेज देशपांडे मार्शल आर्ट में कैसे पारंगत हैं, जैसे कई सवालों के जवाब नहीं मिलते।
अधूरे मोटिव: सीमा द्वारा आठ हत्याएं करने की बात कही गई है, लेकिन सिर्फ़ दो हत्याओं के ही कारण दिखाए गए हैं। अपने कृत्य को न्यायसंगत ठहराने के लिए उनका समाज से ‘बुरे लोगों की सफाई’ करने का तर्क भी पूरी तरह स्थापित नहीं होता।
सपाट इमोशन: जब तेजस को पता चलता है कि मिसेज देशपांडे ही उसकी असली माँ हैं, तो वह भावनात्मक सीन भी सपाट तरीके से आगे बढ़ जाता है।
कुछ गिने-चुने ट्विस्ट को छोड़ दें तो, माधुरी दीक्षित ही ‘मिसेज देशपांडे‘ का एकमात्र आकर्षण हैं, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती हैं। हालांकि, कमजोर और बेदम पटकथा की वजह से वह भी इस शो को पूरी तरह संभाल नहीं पाती हैं। शो का अंत दूसरे सीज़न की संभावना के साथ होता है, जिसमें अनुत्तरित सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।






