अजित पवार व एकनाथ शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव में नामांकन वापसी के आखरी दिन अजित पवार की एनसीपी को बड़ी सफलता मिली है। महायुति में आपसी मतभेद के कारण एनसीपी और शिवसेना दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे। लंबी बातचीत और आपसी सहमति के बाद एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अजित पवार गुट के खिलाफ उतारे दो उम्मीदवारों के नामांकन वापस लिए हैं।
नामांकन वापस लेने के आखरी दिन सोमवार को शिवसेना (शिंदे गुट) के दो उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र से अविनाश हैबत राणे और दिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से धनराज हरिभाऊ महाले ने आज चुनाव से अपने नाम वापस ले लिए।
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महायुति ने दिंडोरी विधानसभा सीट से एनसीपी ने वर्तमान विधायक और महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं अणुशक्ति नगर में एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को टिकट दिया है। नवाब मलिक ने इस सीट का पांच बार प्रतिनिधित्व किया है।
विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले यह एनसीपी और महायुति के लिए एक बड़ी मजबूती मानी जा रही है। अजित पवार ने इन दोनों उम्मीदवारों के नामांकन वापस करवाने में अहम भूमिका निभाई, जिससे महायुति की चुनावी संभावनाओं को और बल मिला है। इस रणनीतिक कदम ने अजित पवार की प्रभावशाली राजनीतिक समझ और सहयोगियों के साथ एकता बनाए रखने की उनकी क्षमता को उजागर किया है।
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बता दें कि महायुति में शामिल बीजेपी ने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के नेता नवाब मलिक की उम्मीदवारी का विरोध किया है। वहीं मलिक के खिलाफ मानखुर्द शिवाजीनगर विधानसभा सीट से एकनाथ शिंदे के शिवसेना ने अपना उम्मीदवार भी उतारा है। शिवसेना ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक के खिलाफ भी उम्मीदवार खड़ा किया था। लेकिन अब बातचीत के बाद शिवसेना उम्मीदवार ने नामांकन वापस ले लिया है।