विश्वजीत गायकवाड़ व देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
लातूर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर महायुति और महाविकास अघाड़ी को बगावत का सामना करना पड़ा रहा। बगावत को रोकने के लिए सभी पार्टियों ने कवायद शुरू कर दी है। बागियों से मिल कर उन्हें समझाया जा रहा है। कुछ मान रहे है तो कुछ अब भी अड़े हुए है। बीजेपी ने बागियों को मनाने के लिए बड़े-बड़े नेताओं की फौज उतार दी है।
भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता विश्वजीत गायकवाड़ ने रविवार को कहा कि उन्होंने उदगीर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन वापस लेने का फैसला किया है। इस सीट पर महायुति ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संजय बंसोडे को मैदान में उतारा है।
विश्वजीत गायकवाड़ ने कहा कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश का पालन करते हुए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ली है। लातूर के विधायक संभाजीराव पाटिल निलंगेकर ने कहा कि गायकवाड़ एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने हमेशा पार्टी के निर्देशों का सम्मान किया है और अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। राज्य में महायुति सरकार को फिर से सत्ता में लाने के लिए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है।
यह भी पढ़ें:– अजित पवार ने खेला इमोशनल कार्ड, बोले- लोकसभा चुनाव में ‘साहेब’ को खुश किया, इस बार मुझे प्रसन्न करें
संभाजीराव निलंगेकर ने कहा कि अन्य बागी नेताओं के साथ बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश की जारी है।उन्होंने कहा कि जिन उम्मीदवारों ने महायुति के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ पर्चा भरा है और उनके नामांकन वापस लेने की उम्मीद है।
लातूर के विधायक निलंगेकर ने कहा कि लातूर जिले के सभी छह निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी लड़ाई सीधे महायुति और महा विकास अघाड़ी गठबंधन के बीच होगी। एनसीपी उम्मीदवार और मंत्री बनसोडे ने उदगीर में गायकवाड़ द्वारा किए गए कार्यों को स्वीकार किया।
यह भी पढ़ें:– नदियों के ऊपर से गुजरेगी बुलेट ट्रेन, मुंबई-अहमदाबाद रूट पर 12 पुल तैयार, जानिए कब तक पूरा होगा काम
गायकवाड़ ने कहा कि सीट एनसीपी को आवंटित की गई है और सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सीट रणनीतिक महत्व रखती है। विश्वजीत गायकवाड़ पूर्व भाजपा सांसद सुनील गायकवाड़ के भतीजे हैं। उन्होंने लातूर लोकसभा से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने सुधाकर श्रंगारे को फिर से उम्मीदवार बनाया, जो 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के शिवाजी कालगे से हार गए थे।