क्वालकॉम टेक्नोलॉजी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्तरिंग कंपनी क्वालकॉम टेक्नोलॉजी के एक सीनियर ऑफिसर ने टेलीकॉम सर्विस के बारे में एक बड़ा बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि 600 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड में एडवांस टेलीकॉम सर्विस को सपोर्ट करने के लिए स्मार्टफोन एम्बीयेंट सबसे बेहतर विकल्प है।
ऐसा अनुमान लगाया जा है कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में मोबाइल सर्विस संचालित होने से किसी भी बूस्टर या एम्पलीफायर के बगैर भी इमारतों के अंदर सिग्नल बेहतर होगा। स्मार्टफोन के लिए एडवांस प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज के सीनियर उपाध्यक्ष और जनरल मैनेजर (प्रौद्योगिकी योजना एवं उन्नत समाधान) दुर्गा मल्लादी ने कहा कि जब तक भारत इन रेडियो वेव्स को उपयोग के लिए मुहैया कराने का फैसला करेगा, तब तक स्मार्टफोन इकोलॉजी और भी बेहतर हो जाएगी।
मल्लादी ने क्वालकॉम चिपसेट में 600 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए उपलब्ध समर्थन पर चर्चा के दौरान कहा है कि वास्तव में यह काफी अच्छा है। हमारे ट्रांसीवर पहले से ही 600 मेगाहर्ट्ज तक जाते हैं। इसलिए हमारे लिए वहां कोई समस्या नहीं है। हम दुनिया के किसी भी हिस्से में कारोबार के लिए तैयार हैं।”
क्वालकॉम के चिपसेट का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्रीमियम कैटेगरी के स्मार्टफोन में किया जाता है। मार्केट रिसर्च एवं एनालिसिस फर्म काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, क्वालकॉम अप्रैल-जून तिमाही में 38 प्रतिशत रेवेन्यू हिस्सेदारी के साथ ग्लोबल लेवल पर चिपसेट सेगमेंट में सबसे आगे रही है।
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केंद्र सरकार ने 2022 स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान 600 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम बैंड में 40 मेगाहर्ट्ज आवृत्ति तक की वेव्स को रखा था। लेकिन उस बैंड में सेवाओं का समर्थन करने के लिए उपकरण परिवेश न होने से कोई बोलीदाता नहीं मिल पाया।
इसके बाद सरकार ने जून, 2024 में आयोजित स्पेक्ट्रम ऑक्शन में 600 मेगाहर्ट्ज बैंड को शामिल नहीं किया था। मल्लादी ने कहा कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड अमेरिका में एक प्रीमियम प्रॉपर्टी है और इसका उपयोग उस देश में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर टी-मोबाइल देशव्यापी कवरेज के लिए करती है। यह अनुमान है कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक अकेला मोबाइल टावर भी 65 किलोमीटर के दायरे में मोबाइल सिग्नल भेज सकता है जबकि बीएसएनएल और रिलायंस जियो के पास 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के मामले में यह दूरी लगभग 25 किलोमीटर की है। वहीं, 2जी स्पेक्ट्रम के रूप में मशहूर 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में प्रेषित सिग्नल सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूरी ही कवर करता है। इस बैंड का 4जी स्पेक्ट्रम के लिए भी खूब इस्तेमाल हुआ।
(एजेंसी इनपुट के साथ)