धनंजय मुंडे, अंजलि दमानिया (pic credit; social media)
Dhananjay Munde: महाराष्ट्र के पूर्व कृषि मंत्री और एनसीपी (अजित पवार गुट) के विधायक धनंजय मुंडे की परेशानियां एक बार फिर बढ़ने वाली हैं। बीड जिले के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में उनके करीबी वाल्मिकी कराड़ की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। अब उनके कृषि मंत्री रहते हुए लिए गए फैसलों पर राज्य के लोकायुक्त ने सुनवाई शुरू कर दी है। यह मामला पूर्व IAS और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया की शिकायत पर दर्ज किया गया है।
अंजलि दमानिया का आरोप है कि कृषि मंत्री रहते हुए धनंजय मुंडे ने वस्तुओं की कीमतें बढ़ाकर खरीद प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं की थीं। साथ ही, उनकी पत्नी राजश्री धनंजय मुंडे जिन कंपनियों से जुड़ी हैं – वेंकटेश्वर इंडस्ट्रियल और टर्टल लॉजिस्टिक्स – उन्होंने परली थर्मल पावर प्लांट से राख उठाकर उसे खुले बाजार में बेच दिया। दमानिया का कहना है कि यह कदम न केवल पारदर्शिता के खिलाफ था, बल्कि लाभ के पद (Office of Profit) के प्रावधानों का भी उल्लंघन है।
उन्होंने फरवरी माह में लोकायुक्त के समक्ष इस पूरे मामले से जुड़े सबूतों के साथ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। दमानिया का दावा है कि मंत्री रहते मुंडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया।
लोकायुक्त कार्यालय ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारियों और विभागों को भी सुनवाई में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। इनमें राज्य के मुख्य सचिव, कृषि विभाग के प्रधान सचिव, कृषि आयुक्त, राज्य विद्युत करघा निगम और कृषि उद्योग विकास निगम के प्रबंध निदेशक, साथ ही राज्य भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के महानिदेशक शामिल हैं।
इस मामले में पहली सुनवाई पहले ही हो चुकी है और अब दूसरी सुनवाई गुरुवार को ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। लोकायुक्त ने धनंजय मुंडे और अंजलि दमानिया दोनों को सुनवाई में शामिल होने का नोटिस भेजा है।
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि अगर लोकायुक्त की जांच में अनियमितताओं के आरोप सही पाए जाते हैं, तो धनंजय मुंडे की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। पहले ही एक बड़े विवाद के चलते उन्होंने मंत्री पद खो दिया है, और अब लोकायुक्त की कार्रवाई उनके राजनीतिक करियर पर और गहरी चोट कर सकती है।