
रीतलाल यादव, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Ritlal Yadav Danapur Assembly Constituency: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता रीतलाल यादव का राजनीतिक करियर जेल और चुनावों के बीच उतार-चढ़ाव भरा रहा है। हत्या और जबरन वसूली समेत 33 से अधिक गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी रहे रीतलाल यादव ने जेल में रहते हुए भी अपनी सियासी ज़मीन मज़बूत की।
रीतलाल यादव जुलाई 2015 में तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में बिहार विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव जीता। उन्हें 2016 में एमएलसी पद के लिए चुना गया था। उन्हें अगस्त 2020 तक बेउर जेल में रखा गया था, जिसके बाद वह ज़मानत पर रिहा हुए। फिर 2020 में विधायक बने, लेकिन एक बार फिर से जेल में होने के कारण जेल से पर्चा भरकर चुनाव लड़ रहे हैं।
रीतलाल यादव 2003 में लालू प्रसाद यादव की ‘तेल पिलावन लाठी घुमावन यात्रा’ के दौरान सुर्खियों में आए थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उन पर भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या, प्रतिद्वंद्वी चुन्नू सिंह की हत्या और चलती ट्रेन में दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या सहित कई गंभीर आरोप हैं। उनका संपर्क लालू प्रसाद से तब गहरा हुआ जब राम कृपाल यादव ने राजद छोड़ दी। पार्टी ने जब मीसा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा से टिकट दिया, तब रीतलाल ने राम कृपाल यादव के ख़िलाफ़ मीसा भारती का समर्थन किया। बाद में वह राजद में शामिल हो गए और लालू प्रसाद ने उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया।
2010 में, रीतलाल ने आत्मसमर्पण कर जेल से ही विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2015 में, महागठबंधन के कारण लालू यादव उन्हें दानापुर से टिकट नहीं दे पाए, तो उन्होंने 2016 में जेल के भीतर से बिहार विधान परिषद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
अगस्त 2020 में ज़मानत पर रिहा होने के बाद, राजद ने उन्हें दानापुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। 2020 के विधानसभा चुनावों में उनका मुकाबला सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी आशा देवी सिन्हा से हुआ। आशा देवी सिन्हा, जिनके पति सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का आरोप रीतलाल के आदमियों पर ही लगता है। उसके जेल जाने के बाद से आशा देवी सिन्हा भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार दानापुर सीट जीत रही थीं। लेकिन 2020 में रीतलाल यादव ने उन्हें हराकर यह सीट जीत ली, जो उनके राजनीतिक प्रभाव का एक बड़ा प्रमाण पेश किया।
राजधानी पटना से सटे दानापुर विधानसभा सीट पर इस बार का मुकाबला काफी कड़ा होने की उम्मीद है, क्योंकि यह इलाका एक हॉट सीट बन चुका है, जहां यादव बनाम यादव की लड़ाई में दो दिग्गज आमने-सामने हैं। एक ओर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मौजूदा विधायक और उम्मीदवार रीतलाल यादव हैं, जिन्होंने 2020 में बीजेपी की आशा देवी को 15,924 वोटों के अंतर से हराया था, तो दूसरी ओर बीजेपी के पूर्व सांसद राम कृपाल यादव मैदान में हैं। राम कृपाल यादव ने 2014 और 2019 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर लालू की बेटी मीसा भारती को हराया था, लेकिन यह उनके करियर का पहला विधानसभा चुनाव है।
बाहुबली रीतलाल यादव, जिन्हें लालू परिवार का करीबी माना जाता है, वर्तमान में जेल में बंद हैं। उन पर हत्या, रंगदारी, जबरन वसूली, और अवैध कब्जे जैसे संगीन आरोप लगे हैं। हाल ही में, एक बिल्डर से रंगदारी मांगने और धमकी देने के मामले में उन्हें अदालत में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। रीतलाल ने जेल में रहते हुए ही दानापुर से राजद प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया था और सुरक्षा कारणों से उन्हें पटना के बेऊर जेल से भागलपुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।
दानापुर में आगामी 6 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव में प्रचार करने के लिए, रीतलाल यादव ने पटना हाईकोर्ट में चार सप्ताह की औपबंधिक जमानत (provisional bail) के लिए अर्जी दी थी। हालांकि, न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की एकलपीठ ने उनकी याचिका पर सुनवाई टाल दी है। अदालत ने राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है, और इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 अक्टूबर को होगी। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि रीतलाल यादव की अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है, और उन्होंने अपने आपराधिक इतिहास का पूरा ब्योरा नहीं दिया है।
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रीतलाल की आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस स्थिति का फायदा बीजेपी के राम कृपाल यादव को मिल सकता है। राम कृपाल यादव सड़क, बाढ़, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे स्थानीय मुद्दों को उठाकर रीतलाल को पटखनी देने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, स्थानीय युवा भी नेताओं से नाराज हैं, क्योंकि बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्या बनी हुई है; उनका मानना है कि सरकारें केवल चुनाव आने पर ही भर्तियां निकालती हैं। दानापुर के इस दंगल में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है।






