पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ (डिजाइन फोटो)
India vs Pakistan: एशिया कप में दोनों चिर-प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हुआ। जो कि पूरी तरह एकतरफा रहा। भारत ने पाकिस्तानी टीम को क्रिकेट के मैदान पर भी बुरी तरह से धूल चटा दी। लेकिन भारत की इस जीत से ज्यादा चर्चा भारतीय कप्तान और खिलाड़ियों द्वारा पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ न मिलाने को लेकर हुई।
सूर्यकुमार यादव ब्रिगेड के इस फैसले से कई पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर नाराज हैं। पूर्व कप्तान राशिद लतीफ ने गुस्से में यहां तक कह दिया कि अगर मामला पहलगाम से जुड़ा था, तो हमें युद्ध लड़ लेना चाहिए था। वो भी हमने पूरी तरह से नहीं किया। इसके विरोध में सलमान अली आगा ने मैच के बाद के प्रेजेंटेशन का बहिष्कार कर दिया। पाकिस्तानी टीम ने रेफरी के सामने औपचारिक विरोध दर्ज कराया।
देश में पाकिस्तान के साथ मैच को लेकर सोशल मीडिया पर गुस्से, बहिष्कार के चलन और खिलाड़ियों के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल के बीच, भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। कप्तान हो या खिलाड़ी, खेलना या न खेलना उनके बस में नहीं था। खेलने का फैसला बीसीसीआई का था और सरकार की तरफ से हरी झंडी थी।
कप्तान और खिलाड़ियों के बस में जो भी था, उन्होंने बखूबी किया। पहले तो उन्होंने मैदान में पाकिस्तान को एकतरफा तरीके से धूल चटाई, फिर अपना संदेश भी साफ-साफ दे दिया। जब दिल ही न मिलें, तो हाथ मिलाने का चलन बेमानी है। वहीं, मैच के बाद सूर्यकुमार यादव ने जीत को पहलगाम हमले में मारे गए लोगों और पीड़ित परिवारों को समर्पित किया।
भारतीय टीम के इस कदम से पाकिस्तान का नाराज़ होना स्वाभाविक था। एक तो वे मैच हार गए, ऊपर से भारतीय टीम ने कोई तवज्जो नहीं दी। एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ ने कहा कि अगर मामला पहलगाम से जुड़ा है, तो जंग लड़िए।
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने कहा, ‘जंग या पहलगाम हमले को लेकर आपकी आपत्तियां जायज हैं। लेकिन जब आप मैदान पर उतरें, तो खेल को सही तरीके से खेलें। अगर पाकिस्तान पहलगाम हमले में शामिल है, तो जिम्मेदार लोगों को पकड़ें। उन्हें जंग लड़नी चाहिए थी, वो भी पूरी तरह से नहीं।’ भारत को युद्ध लड़ना चाहिए था, पीछे नहीं हटना चाहिए था।’
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लतीफ ने यह भी कहा, ‘युद्ध पहले भी हुए हैं, लेकिन हमने हमेशा हाथ मिलाया है। ये बातें ज़िंदगी भर दाग रहेंगी। सुनील गावस्कर अपने सभी इंटरव्यू में जावेद मियांदाद का जिक्र करते थे, लेकिन उन्होंने कभी नहीं कहा कि वे हाथ नहीं मिलाएंगे। हम अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जो हुआ वह सही नहीं था।’
हालांकि, यह सब कहते हुए पाकिस्तानी टीम के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ शायद यह भूल गए कि कैसे भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया था। पाकिस्तान के डीजीएमओ भारतीय समकक्ष से युद्धविराम की गुहार लगाने लगे थे।