रणधीर जायसवाल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan Saudi Relations: पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक ऐसा सैन्य समझौता किया है जो नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी देता है। इस समझौते के अनुसार, यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दूसरे देश पर भी हमला माना जाएगा। दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह समझौता उनकी सुरक्षा को मजबूत करने और विश्व शांति कायम रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके तहत दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग (डिफेंस कॉर्पोरेशन) भी स्थापित किया जाएगा। इस नए समझौते पर भारत भी बारीकी से नजर रखे हुए है।
इन दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि सरकार को इस समझौते की जानकारी पहले से थी। उन्होंने कहा कि अब भारत इस समझौते के राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के प्रति पूरी तरह सजग है। इस समझौते पर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रियाद में हस्ताक्षर किए हैं।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रणनीतिक समझौते पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमें इस समझौते की खबरें मिली हैं और सरकार इस घटनाक्रम से अवगत थी। यह समझौता दोनों देशों के बीच लंबे समय से विचाराधीन एक दीर्घकालिक व्यवस्था को औपचारिक रूप देने वाला है। जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत सरकार इस समझौते के प्रभावों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करेगी, विशेष रूप से इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाली संभावित प्रभावों को लेकर।
सरकार पूरी तरह से भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और व्यापक स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि इस गठजोड़ के भारत पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया जाएगा और आवश्यक रिसर्च भी की जाएगी।
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रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रक्षा समझौता दोनों देशों के सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस समझौते के अनुसार, अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और वे संयुक्त रूप से प्रतिक्रिया देंगे। इसका उद्देश्य केवल उनकी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता बनाए रखना भी है।
समझौते में रक्षा सहयोग को उन्नत करने पर जोर दिया गया है, जिसमें आधुनिक हथियारों, नई तकनीकों और सुरक्षा रणनीतियों पर साझा प्रयास शामिल हैं। इससे पाकिस्तान और सऊदी अरब की सामरिक ताकत और सुरक्षा ढांचा और अधिक मज़बूत होगा।