
ट्रंप की साउथ कोरिया यात्रा के बीच उत्तर कोरिया ने दागी मिसाइलें, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
APEC Summit 2025: उत्तर कोरिया ने बुधवार को दावा किया कि उसने समुद्र से सतह पर मार करने वाली नई क्रूज मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण उस समय किया गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम उत्तर कोरिया की बढ़ती सैन्य क्षमताओं और परमाणु तैयारी का संकेत माना जा रहा है। इस परीक्षण के बाद क्षेत्र में भू-राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है।
उत्तर कोरिया की सरकारी ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA)’ ने बताया कि मंगलवार को दागी गई मिसाइलों ने देश के पश्चिमी जलक्षेत्र में अपने लक्ष्यों पर सटीक प्रहार किया। एजेंसी ने कहा कि ये मिसाइलें 2 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरती रहीं और सभी निर्धारित लक्ष्यों पर सटीक प्रहार किया। KCNA की रिपोर्ट के मुताबिक, इन हथियारों के सफल परीक्षण से देश की परमाणु-सशस्त्र सेना की परिचालन क्षमता और अधिक बढ़ेगी।
दक्षिण कोरिया के ‘ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ’ ने पुष्टि की कि उत्तर कोरिया ने मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे मिसाइलें दागीं। दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि उन्होंने पहले से ही इन गतिविधियों का पता लगा लिया था। बयान में कहा गया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया दोनों देश मिलकर उत्तर कोरिया के किसी भी उकसावे का प्रभावी जवाब देने के लिए तैयार हैं।
इस बीच, ट्रंप ने इस परीक्षण को लेकर कोई गंभीर चिंता व्यक्त नहीं की। जापान से दक्षिण कोरिया के लिए उड़ान भरते समय ‘एयर फोर्स वन’ विमान में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि किम जोंग उन तो दशकों से मिसाइलें दागते आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब भी उत्तर कोरियाई नेता से मुलाकात करने को तैयार हैं।
ट्रंप की दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान ग्योंगजू में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग के साथ उनकी बैठक होनी है। यहां एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की बैठकें चल रही हैं। ट्रंप की इस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी उनकी मुलाकात तय है। हालांकि, दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात की कोई आधिकारिक योजना नहीं है।
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बता दें कि उत्तर कोरिया ने हाल ही में कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का भी परीक्षण किया था, जिनमें नई हाइपरसोनिक तकनीक इस्तेमाल की गई थी। लगातार हो रहे ये परीक्षण यह दर्शाते हैं कि उत्तर कोरिया अपनी सैन्य शक्ति और तकनीकी क्षमता को लगातार आगे बढ़ा रहा है। क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम अमेरिका और दक्षिण कोरिया पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।






