प्रिंस हिसाहितो (फोटो- सोशल मीडिया)
Japans Prince Hisahito: जापान के शाही परिवार के राजकुमार हिसाहितो अब आधिकारिक रूप से वयस्क हो गए हैं। इस अवसर पर शनिवार को एक पारंपरिक और भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें सम्राट के दूत द्वारा पारंपरिक शाही मुकुट ‘कन्मुरी’ पहनाया गया। यह ऐतिहासिक क्षण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हिसाहितो पिछले चार दशकों में पहले पुरुष शाही सदस्य हैं जिन्होंने यह वयस्कता समारोह पार किया है।
हिसाहितो, सम्राट नारुहितो के भतीजे हैं और क्राउन प्रिंस अकिशिनो एवं क्राउन प्रिंसेस किको के इकलौते पुत्र हैं। वर्तमान उत्तराधिकार नियमों के अनुसार वे जापान के भविष्य के सम्राट बनने की पंक्ति में हैं। लेकिन इस समारोह के साथ ही एक बार फिर यह राष्ट्रीय बहस तेज हो गई है कि क्या केवल पुरुषों को ही शाही गद्दी संभालने का अधिकार होना चाहिए।
समारोह के दौरान 19 वर्षीय राजकुमार ने शाही परंपराओं के अनुरूप वयस्कता के प्रतीक पारंपरिक वस्त्र धारण किए। वे विशेष रूप से तैयार किए गए शाही रथ में सवार होकर शाही महल के तीन पवित्र मंदिरों का दौरा करने निकले। साथ ही उन्होंने जापान के पहले सम्राट जिनमू और अपने परदादा सम्राट शोवा की समाधियों पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर राजकुमार ने अपने बयान में कहा, आज के इस पावन वयस्कता समारोह में मुझे ताज पहनाने के लिए मैं आभारी हूं। मैं अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उन्हें पूरे समर्पण के साथ निभाने का प्रयास करूंगा।” समारोह में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।
राजकुमार हिसाहितो का जन्म 2006 में हुआ था। उनसे पहले, उनके पिता प्रिंस अकिशिनो ने 1985 में वयस्कता समारोह में भाग लिया था। हिसाहितो की दो बड़ी बहनें हैं, राजकुमारी काको और पूर्व राजकुमारी माको, जिन्होंने एक आम नागरिक से विवाह के बाद शाही दर्जा त्याग दिया।
सम्राट नारुहितो की एकमात्र संतान, 23 वर्षीय राजकुमारी आइको, मौजूदा उत्तराधिकार नियमों के कारण सिंहासन पर नहीं बैठ सकतीं, क्योंकि जापान में केवल पुरुष ही सम्राट बन सकते हैं। ऐसे में, हिसाहितो शाही उत्तराधिकार की पंक्ति में एकमात्र युवा पुरुष सदस्य रह गए हैं।
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जापान में शाही परिवार की संख्यात्मक गिरावट और विशेष रूप से पुरुष उत्तराधिकारियों की कमी ने एक बार फिर उत्तराधिकार नियमों में संभावित बदलाव की बहस को जन्म दे दिया है। यह सवाल अब और अधिक प्रासंगिक हो गया है कि क्या राजकुमारी आइको जैसी महिला सदस्यों को भी सिंहासन का उत्तराधिकारी माना जाना चाहिए, या जापान अपने सदियों पुराने पुरुष-वर्चस्व वाले शाही परंपरा को ही बनाए रखेगा?