लंदन में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन (फोटो- सोशल मीडिया)
Britain Parliament Protest: ब्रिटेन की राजगधानी लंदन में शनिवार को संसद के बाहर जोरदार प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी फिलिस्तीन एक्शन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान पुलिस में करीब 900 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। यह कार्रवाई उस सरकारी चेतावनी के बाद की गई, जिसमें लोगों को प्रतिबंधित संगठन के पक्ष में प्रदर्शन न करने की हिदायत दी गई थी।
ब्रिटेन ने जुलाई में फिलिस्तीन एक्शन को आतंकवाद-रोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। यह फैसला तब लिया गया जब संगठन के कुछ सदस्यों ने रॉयल एयर फोर्स के एक बेस में घुसकर सैन्य विमानों को नुकसान पहुँचाया था। इसके बाद इजराइल से जुड़े रक्षा उद्योगों को निशाना बनाकर कई हमले हुए। प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की सरकार पर गाजा में इजराइली युद्ध अपराधों में साझेदार होने का आरोप लगाता है।
लंदन पुलिस के मुताबिक, शनिवार को संसद के पास हुए प्रदर्शन के बाद कुल 890 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें से 857 को प्रतिबंधित संगठन के समर्थन में प्रदर्शन करने के आरोप में और 17 अन्य को पुलिस पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह धरने में हुई अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी मानी जा रही है।
Gone 7.30 and still 100s and hundreds of people sitting with signs opposing genocide and supporting Palestine action in Parliament sq. Police continue to arrest … it’s going to take a long time to clear all of these non violent brave people pic.twitter.com/L2ZeV4egW5
— Kate Middleton (@KateM45) September 6, 2025
लंदन पुलिस की अधिकारी क्लेयर स्मार्ट ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसका मकसद अधिक से अधिक अराजकता फैलाना था। इस विरोध का आयोजन डिफेंड आवर ज्यूरीज नाम का संगठन ने किया था। उनके अनुसार, गिरफ्तार लोगों में पादरी, पूर्व सैनिक, स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग और विकलांग लोग भी शामिल हैं। संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा कि जब तक फिलिस्तीन एक्शन से प्रतिबंध नहीं हटाया जाता, यह मुहिम जारी रहेगी।
फिलिस्तीन एक्शन पर प्रतिबंध के बाद यह संगठन अब अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसी सूची में शामिल हो गया है। इसके समर्थन या इससे जुड़ने को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसकी अधिकतम सजा 14 साल तक की जेल है।
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मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रतिबंध की आलोचना करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध बताया है और कहा है कि यह शांतिपूर्ण विरोधों को दबाने की कोशिश है। वहीं, दूसरी ओर रक्षा मंत्री जॉन हीली ने इस कड़ी कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि यह उन लोगों को स्पष्ट संदेश देने के लिए ज़रूरी था, जो पुलिसिंग और न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।