संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वथानेनी हरीश, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वाशिंगटन: इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के कारण गाज़ा में मानवीय हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पहली बार इस संघर्ष पर स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाते हुए अहम बयान दिया है। भारत ने गाज़ा में उत्पन्न गंभीर मानवीय संकट पर गहरी चिंता जताई है और तुरंत युद्धविराम लागू करने की अपील की है। भारत के इस रुख से अमेरिका समेत इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी चकित हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वथानेनी हरीश ने न्यूयॉर्क में एक अहम बैठक के दौरान मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और फिलिस्तीन संकट पर भारत का पक्ष रखा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि क्षेत्र में जारी मानवीय संकट को रोकने के लिए युद्धविराम लागू करना और संवाद के माध्यम से शांति स्थापित करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने, बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने और मानवीय सहायता को सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से पहुंचाने की अपील की। राजदूत हरीश ने ज़ोर दिया कि मौजूदा संकट का स्थायी समाधान केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है।
#WATCH | New York: India’s Permanent Representative to the United Nations, Ambassador Harish P., delivered India’s statement at the UN Security Council Quarterly Open Debate on the Situation in the Middle East, including the Palestinian question.
He said, “… The way ahead is… pic.twitter.com/nGS5Fd8jhQ
— ANI (@ANI) July 24, 2025
उन्होंने कहा कि आगे की दिशा स्पष्ट है और भारत लगातार इस मुद्दे पर सहयोग करता रहा है। वर्तमान में जो मानवीय संकट जारी है, उसे किसी भी सूरत में और नहीं चलने देना चाहिए। इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि मध्य पूर्व में अन्य देशों की मदद बेहद अहम है, इसलिए यह सहायता समय पर और सुरक्षित तरीके से पहुंचाई जानी चाहिए।
मिडिल ईस्ट में स्थायी समाधान केवल शांति के मार्ग से ही संभव है। इसके लिए सबसे पहले युद्धविराम लागू किया जाना आवश्यक है। साथ ही, जिन लोगों को बंधक बनाया गया है, उनकी तत्काल रिहाई भी उतनी ही जरूरी है। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संवाद और कूटनीतिक प्रयास ही एकमात्र प्रभावी रास्ता हैं। किसी और विकल्प की गुंजाइश नहीं है। इसलिए, इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। भारत के राजदूत ने कहा कि भारत हमेशा समावेशी दृष्टिकोण अपनाता है और किसी को पीछे न छोड़ने की नीति पर आज भी पूरी तरह कायम है।
यह भी पढे़ें:- निकल गई सारी हेकड़ी, भारत से बात करने को तैयार पाक, शहबाज शरीफ का बड़ा यू-टर्न
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, गाजा में लगभग 95% अस्पताल इस संघर्ष में पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट बताती है कि 6.5 लाख से अधिक बच्चे पिछले 20 महीनों से शिक्षा से वंचित हैं। आगे का रास्ता साफ है भारत लगातार सकारात्मक दिशा में प्रयासरत है और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह मानवीय संकट और अधिक न बढ़े।