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लाहौर: पाकिस्तान में बैठे आतंकी नेताओं ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को गिराया था। आतंकियों ने इसे भारत के खिलाफ बदले की कार्रवाई बताया है। आतंकियों द्वारा अपनी साजिश को खुलेआम कबूलना इस बात को साबित करता है कि वे भारत के खिलाफ किस हद तक जा सकते हैं।
कुख्यात लश्कर आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा के वरिष्ठ नेताओं ने खुद अपने भाषणों में माना है कि उन्होंने शेख हसीना के खिलाफ विद्रोह भड़काया था और उनकी सरकार को गिराया था। हाफिज सईद मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है।
जमात-उद-दावा के शीर्ष नेता सैफुल्लाह कसूरी और मुजम्मिल हाशमी ने अपने भाषणों में कहा कि भारत से 1971 का बदला लेने के लिए बांग्लादेश में यह साजिश रची गई थी। मुजम्मिल को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी घोषित किया है। गुजरांवाला में मुजम्मिल ने बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ हुए प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए भारत के बारे में कहा- “हमने पिछले साल बांग्लादेश में तुम्हें हराया था…”।
दूसरी ओर, सैफुल्लाह कसूरी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रहीम यार खान के पास इलाहाबाद में एक रैली में भी यही बयान दोहराया। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का हाल बयां करते हुए कहा, “जब 1971 में पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब मैं चार साल का था। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषणा की थी कि उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया है। 10 मई को मैंने कहा…हमने 1971 का बदला ले लिया है।”
कसूरी ने यह भी कहा कि उनका एक साथी मुदस्सर 7 मई को मुरीदके में जमात-उद-दावा/लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर भारतीय हवाई हमले में मारा गया। “मुझे उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। उसके अंतिम संस्कार के दिन मैं खूब रोया। जब पहलगाम की घटना हुई, तब मैं अपने इलाके में लोगों से मिल रहा था। भारत ने मुझे इस हमले का मास्टरमाइंड बनाया। भारत ने मेरे शहर कसूर को दुनिया में मशहूर कर दिया।” कसूरी ने कहा, “हम अगली पीढ़ी को जिहाद के लिए तैयार कर रहे हैं…हमें मरने से डर नहीं लगता।”
इससे पहले भी कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बांग्लादेश में राजनैतिक उथल-पुथल और शेख हसीना सरकार को गिराने के पीछे पाकिस्तान का हाथ था, जिसका उद्देश्य भारत विरोधी सरकार स्थापित करना था। शेख हसीना के खिलाफ आईएसआई स्लीपर सेल सक्रिय किए जा रहे थे। आईएसआई बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र विंग “इस्लामी छात्र शिविर” का इस्तेमाल ढाका में संकट को बढ़ाने के लिए कर रही थी।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना (सोर्स- सोशल मीडिया)
जमात को पाकिस्तान का बेहद करीबी कहा जाता है और समय-समय पर इसे गुप्त फंडिंग भी दी जाती रही है। जमात-उद-दावा का भी इनसे सीधा संबंध है। शेख हसीना के खिलाफ साजिश में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) का भी हाथ बताया जाता है, जो आईएसआई द्वारा समर्थित एक देवबंदी आतंकवादी समूह है। इन सभी साजिशों का अंतिम उद्देश्य बांग्लादेश में तालिबान जैसी सरकार स्थापित करना और इस तरह भारत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी करना था।
रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई ने हसीना की अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रची ताकि पाकिस्तान के भारत विरोधी एजेंडे के अनुरूप नई सरकार स्थापित की जा सके। इस साजिश में 2024 में नौकरी कोटा प्रणाली को लेकर शुरू हुए छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों का इस्तेमाल किया गया, जो बाद में एक हिंसक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप हसीना ने 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा दे दिया और भारत भाग गईं।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर हसीना को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है। 2004 में भी अवामी लीग की रैली पर ग्रेनेड हमला हुआ था, जिसमें 24 लोग मारे गए थे। इस हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादी अबू यूसुफ भट ने 2009 में कबूल किया था कि यह साजिश अवामी लीग को कमजोर करने के लिए थी, क्योंकि हसीना के नेतृत्व को बांग्लादेश और भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक बाधा के रूप में देखा जाता था।
बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ चार्जशीट दायर, हो सकती है मौत की सजा
हसीना की सरकार भारत के लिए एक प्रमुख भागीदार थी, जिसने क्षेत्र में पाकिस्तान के प्रभाव को कम करने के लिए मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया। सूत्रों का दावा है कि आईएसआई ने बांग्लादेश में भारत के प्रभुत्व को कमजोर करने के लिए घरेलू अशांति का फायदा उठाने की कोशिश की, जिससे आतंकवादी समूहों को अधिक परिचालन स्वतंत्रता मिली। कुछ रिपोर्टों में चीन की भूमिका का उल्लेख किया गया है।