
अमेरिकी संसद में लहराई गई मोदी-पुतिन की सेल्फी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Modi-Putin Selfie in US Parliament: रुस के राष्टपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत की यात्रा की थी, इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई अहम बैठके की। पुतिन के इस दाैरे ने अमेरिका को परेशानी में डाल दिया है। इसका असर हाल में अमेरिकी कांग्रेस में भी देखने को मिला। विदेशी नीति पर आयोजित एक महत्वपूर्ण संसदीय सुनवाई में डेमोक्रेट सांसद सिडनी कैमलेगर-डव मोदी-पुतिन की सेल्फी का एक बड़ा पोस्टर लेकर पहुँचीं।
सिडनी कैमलेगर-डव ने पोस्टर को सदन में लहराते हुए उन्होंने कहा कि यह तस्वीर अमेरिका की विफल होती भारत नीति का प्रतीक है। उन्होंने कहा, वॉशिंगटन की मौजूदा रणनीति भारत को रूस के और नज़दीक धकेल रही है, और इसके लिए भारत नहीं बल्कि स्वयं अमेरिका जिम्मेदार है। कैमलेगर-डव ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन की भारत नीति ‘आत्म-नुकसान’ जैसी रही है।
उनका कहना था कि इस नीति ने भारत-अमेरिका संबंधों में सालों से बन रहा रणनीतिक भरोसा कमजोर कर दिया है। अपने हाथ में पकड़े पोस्टर की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि यह तस्वीर अमेरिका की उन गलतियों को उजागर करती है जिनके कारण उसके रणनीतिक साझेदार विरोधी खेमों की ओर झुकते दिखाई देते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि मित्र देशों पर दबाव बढ़ाकर कोई दीर्घकालिक साझेदारी कायम नहीं रखी जा सकती।
सांसद ने जोर देकर कहा कि अमेरिका को भारत को लेकर अपनी विदेश नीति पर गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता है। उनके अनुसार, भारत-अमेरिका संबंध आज एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं जहाँ दोनों देशों के हितों को संतुलित समझ और सम्मान के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के अन्य सदस्यों से अपील की कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस रिश्ते को मजबूत करने में सहयोग दें। कैमलेगर-डव ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल करवाने के लिए समिति के चेयर की आभारी हैं।
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पुतिन दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। पालम एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उनका आलिंगन कर अभिनंदन किया और दोनों एक ही फॉर्च्यूनर कार में बैठकर लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। दोनों नेताओं की यह कार राइड और सेल्फी उनकी व्यक्तिगत मित्रता का प्रतीक बताई गई। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा थी जिसने वैश्विक मंच पर भारत-रूस संबंधों को फिर सुर्खियों में ला दिया।






