मोहम्मद यूनुस, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
ढाका: बांग्लादेश में चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है। जल्द ही होने वाले आम चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारियों में लगे हैं। इस बार खास बात यह है कि चुनाव शेख हसीना की गैरमौजूदगी में हो रहा है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि अगली सरकार किसकी होगी। देश के प्रमुख समाचार माध्यम इस विषय पर लगातार जनमत सर्वेक्षण कर रहे हैं।
हाल ही में एक ऐसे ही सर्वे ने प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की चिंता बढ़ा दी है। सर्वे के मुताबिक, खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी (BNP) को सबसे अधिक समर्थन मिल रहा है, जबकि यूनुस समर्थित आंदोलनकारियों द्वारा गठित नई पार्टी एनसीपी (NCP) को केवल तीसरा स्थान मिला है। SANEM नामक अखबार द्वारा युवाओं के बीच कराए गए इस सर्वे में BNP को 39%, जमात को 22% और NCP को मात्र 16% वोट मिलने की संभावना जताई गई है।
यह भी अनुमान लगाया गया है कि अन्य धार्मिक दलों को 4.59 प्रतिशत, जातीय पार्टियों को 3.77 प्रतिशत और अन्य छोटे दलों को 0.57 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। वहीं, 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अंतरिम सरकार देश में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में सक्षम है। इसके बावजूद, अधिकांश लोगों ने सरकार गठन के लिए एनसीपी को अपनी पहली पसंद नहीं बताया है।
एक हालिया सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि 50 प्रतिशत युवाओं को देश की आर्थिक स्थिरता पर भरोसा है, जबकि 35 प्रतिशत युवा देश की कानून-व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं। वहीं, 94 प्रतिशत युवाओं को विश्वास है कि आने वाले चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे। हालांकि, जब बात राजनीतिक बदलाव की आती है, तो युवा पीढ़ी अधिक उम्मीद नहीं रखती और इस मोर्चे पर निराश नजर आती है।
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जब मोहम्मद यूनुस ने देश की सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने वादा किया था कि छह महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन सरकार को बने अब लगभग एक साल हो चुका है और अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं। इस देरी को लेकर उन पर दबाव बढ़ने लगा, जिसके चलते उन्होंने चुनाव कराने का फैसला तो किया, लेकिन इसी बीच उनके करीबी सहयोगियों ने अपनी राजनीतिक पार्टी की नींव रख दी।
पिछले साल छात्र आंदोलनों का प्रमुख चेहरा रहे यूनुस के करीबी नाहिद इस्लाम ने NCP नामक नई पार्टी बनाई है और अब वह आगामी चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। माना जा रहा था कि अगर NCP को जीत मिलती है, तो देश की सत्ता वर्तमान अंतरिम सरकार के हाथों में ही बनी रहेगी। लेकिन हालिया सर्वेक्षणों में देखा गया है कि युवाओं ने NCP को खास समर्थन नहीं दिया है।