
नागपुर न्यूज
Land Conversion Reform: महाराष्ट्र विधानमंडल में महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता, 1966 में आगे संशोधन करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विधेयक (विधानसभा विधेयक क्रमांक 97, 2025) पेश किया गया है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य गैर-कृषि भूमि उपयोग रूपांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाना और जिलाधिकारियों की पूर्व अनुमति की आवश्यकता को समाप्त करना है। बुधवार को राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में रखा जिस पर चर्चा के बाद मंजूरी प्रदान की गई।
1. जिलाधिकारी की अनुमति समाप्त अब यदि किसी भूमि का उपयोग क्षेत्रीय नियोजन और नगर रचना अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के तहत तैयार की गई योजनाओं के अनुसार गैर कृषि कार्यों के लिए अनुज्ञेय है तो उसके लिए जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं होगी। वर्तमान में किसी भी कृषि भूमि का गैर कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग करने से पहले जिलाधिकारी की अनुमति लेना आवश्यक होता है।
2. एकमुश्त प्रीमियम की शुरुआत सरकार ने गैर कृषि आकलन और रूपांतरण कर की आवश्यकता को समाप्त करना उचित समझा है क्योंकि नागरिकों को दोहरे कराधान और प्रक्रियात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसके स्थान पर अब गैर कृषि उपयोग के लिए एक नया एकमुश्त प्रीमियम लागू करने का प्रस्ताव है।
3. प्रीमियम की दरें यह एकमुश्त प्रीमियम भूमि के चालू बाजार मूल्य पर आधारित होगा जिसे वार्षिक दर विवरण पत्र के अनुसार निर्धारित किया जाएगा।
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घरों में काम करके परिवार का पालन-पोषण करने वाली हजारों महिलाओं को आज भी बहुत कम वेतन मिलता है। इन्हें कामगार का दर्जा देने और न्यूनतम वेतन तय करने की मांग को लेकर जागृति मोलकरणी संघर्ष समिति ने मोर्चा निकाला। यह आंदोलन विजेंद्र राजपूत के नेतृत्व में किया गया।
घर कामगारों को भविष्य निधि और निर्वाह निधि योजना में शामिल करने, कार्यस्थल पर सुरक्षा और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करने, घर कामगारों को सवेतन साप्ताहिक अवकाश देने, सरकारी नियमों के अनुसार न्यूनतम वेतन लागू करने और बेघर घर कामगारों के लिए आवास की व्यवस्था करने की मांग को लेकर निवेदन पत्र सौंपा गया।






