
दुनिया में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा पर रिपोर्ट (सोर्स-सोशल मीडिया)
Childhood Sexual Violence India: मानव समाज को झकझोर देने वाली एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। लैंसेट (Lancet) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में एक अरब से अधिक महिलाएं अपने बचपन में यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। यह सिर्फ एक अपराध या सामाजिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
रिपोर्ट में भारत की स्थिति भी चिंताजनक बताई गई है, जहां हर चौथी महिला ने अपने पार्टनर द्वारा हिंसा का सामना किया है। विशेषज्ञों ने इसके समाधान के लिए तत्काल मजबूत कानूनी और सामाजिक बदलावों की मांग की है।
लैंसेट रिपोर्ट ने इस वैश्विक संकट की भयावह तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 तक दुनिया भर में एक अरब से अधिक महिलाएं ऐसी थीं, जो 15 वर्ष या उससे कम आयु में यौन हिंसा का शिकार हुईं। यह आंकड़ा बताता है कि यह समस्या कितनी व्यापक है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि 60.8 करोड़ महिलाओं को अपने जीवनकाल में उनके अंतरंग पार्टनर (Intimate Partner) द्वारा ही प्रताड़ित किया गया।
ये हिंसाएं सिर्फ शारीरिक या मानसिक कष्ट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनके कारण एचआईवी (HIV) और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी अधिक हो जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्र इन हिंसाओं के सबसे बड़े केंद्र बने हुए हैं।
रिपोर्ट में भारत की स्थिति को विशेष रूप से चिंताजनक बताया गया है। भारत में लगभग 23 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पार्टनर द्वारा हिंसा का सामना किया है। वहीं, बचपन में यौन हिंसा झेलने वालों में 30 प्रतिशत महिलाएं और 13 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी नवंबर 2023 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 15–49 वर्ष की हर पांचवीं महिला पार्टनर हिंसा का शिकार है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या सिर्फ मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है, बल्कि एक गंभीर जन स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency) है। हिंसा से जूझ रहे पीड़ितों में मानसिक रोग, अवसाद, नशे की लत और आत्महत्या का खतरा गहरा जुड़ा हुआ पाया गया है।
टीम की प्रमुख डॉ. लुइसा फ्लोर ने कहा कि इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि घरेलू और यौन हिंसा को केवल सामाजिक या कानूनी मुद्दा मानना गलत है। 2023 में पार्टनर प्रताड़ना से दुनिया में 145,000 मौतें हुईं, जबकि बचपन की यौन हिंसा से जुड़े मामलों में 2.9 लाख मौतें दर्ज हुईं। ये मौतें अप्रत्यक्ष रूप से इन हिंसाओं से जुड़ी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का परिणाम थीं।
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विशेषज्ञों ने इस संकट के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इसके लिए कानूनी ढांचें को मजबूत करने, जेंडर समानता को बढ़ावा देने और पीड़ितों के लिए एक व्यापक सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत है। सामुदायिक संगठन, सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां मिलकर काम करें, तभी इस वैश्विक और राष्ट्रीय समस्या पर काबू पाया जा सकता है।






