
कुत्तों को मिलेगा शेल्टर (फ़ाइल फोटो)
– वर्ष 2006 में 34,000 आवारा कुत्ते
-90,000 तक बढ़ा आंकड़ा
नागपुर: आवारा कुत्तों (Stray Dogs) के आतंक के चलते लगातार हो रहीं घटनाओं को लेकर अब पुन: एक बार विजय तालेवार और अन्य की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। याचिकाकर्ता की ओर से वर्षों पूर्व जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर हाई कोर्ट ने 14 जून 2006 को आदेश भी जारी किया किंतु आलम यह है कि इसका अब तक पालन नहीं किया गया।
गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से हलफनामा प्रस्तुत किया गया जिसमें श्वानों के शेल्टर होम के लिए अलग-अलग हिस्सों में जमीन खोजे जाने की जानकारी दी गई। जिलाधिकारी की ओर से बताया गया कि इन जमीनों को उपलब्ध कराया जा सकता है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि इसी तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर 28 फरवरी को सुनवाई होने जा रही है। अत: हाई कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता की अधि। फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की।
मनपा की ओर से बताया गया कि वर्तमान में सिटी में 90,000 के करीब आवारा श्वान हैं जो सिटी की जनसंख्या के अनुपात के केवल 3 प्रतिशत हैं। इस पर अदालत का मानना था कि आवारा श्वानों के लिए सिटी में कहीं 5 एकड़ भूमि होनी चाहिए जिस पर सुरक्षा घेरा बनाकर इन आवारा कुत्तों को वहां रखा जा सकेगा।
कुत्तों को मिलेगा घर (फ़ाइल फोटो)
इसी स्थान पर इन आवारा कुत्तों की नसबंदी और अन्य प्रक्रियाएं की जा सकें। इस तरह से आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त जगह होने से न केवल समस्या हल हो सकेगी बल्कि श्वान प्रेमियों के लिए भी इन कुत्तों को खाना खिलाने की एक व्यवस्था हो सकेगी। जगह के संदर्भ में जिलाधिकारी से सूचना लेने का आदेश भी दिया। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र म्युनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट की धारा 66 के उपनियम 24 के अनुसार आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाना, उन्हें पकडकर कैद करना, मनपा का दायित्व है।






